Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 44
________________ कर्म का विज्ञान ३१ है। लोग कहते हैं कि 'जाने दो न इसे, यह तो है ही बहुत क्रोधी।' अरे कोई तो उसे सामने धौल भी मार देता है। यानी अपयश या और किसी तरह से उसे यहीं पर फल मिल जाता है। यानी गुस्सा होना वह स्थूल कर्म है, और गुस्सा आया उसके भीतर आज का तेरा भाव क्या है कि गुस्सा करना ही चाहिए। वह आनेवाले जन्म का फिर से गुस्से का हिसाब है, और तेरा आज का भाव है कि गुस्सा नहीं करना चाहिए। तेरे मन में निश्चित किया हो कि गुस्सा नहीं ही करना है, फिर भी गुस्सा हो जाता है, तो तुझे अगले जन्म के लिए बंधन नहीं रहा। इस स्थूलकर्म में तुझे गुस्सा आया, तो उसकी तुझे इस जन्म में मार खानी पड़ेगी। फिर भी तुझे बंधन नहीं होगा। क्योंकि सूक्ष्मकर्म में तेरा निश्चय है कि गुस्सा करना ही नहीं चाहिए और कोई व्यक्ति किसीके ऊपर गुस्सा नहीं होता, फिर भी मन में कहे कि इन लोगों के ऊपर गुस्सा करें तो ही ये सीधे होंगे, ऐसे हैं। तो उससे वह अगले जन्म में गुस्सेवाला हो जाता है। यानी बाहर जो गुस्सा होता है, वह स्थूल कर्म है, और उस समय भीतर जो भाव होता है, वह सूक्ष्मकर्म है। स्थूल कर्म से बिल्कुल बंधन नहीं है, यदि इसे समझें तो! इसलिए यह साइन्स मैंने नई तरह से रखा है। अभी तक, स्थूल कर्म से बंधन है, ऐसी मान्यता दुनिया में दृढ़ कर दी है और इसीलिए लोग डरते रहते हैं। इस ज्ञान से संसार सहित मोक्ष । ___ अब घर में स्त्री हो, शादी की हो और मोक्ष में जाना है, तो मन में होता रहता है कि मैंने तो शादी की है, तो अब किस तरह मोक्ष में जा सकूँगा? अरे, स्त्री बाधक नहीं है, तेरे सूक्ष्म कर्म बाधक हैं। ये तेरे स्थूल कर्म कुछ बाधक नहीं हैं। वह मैंने ओपन किया है और यह साइन्स ओपन नहीं करूँ तो भीतर घबराहट-घबराहट और घबराहट रहती है। भीतर अजंपा, अजंपा, अजंपा (बेचैनी, अशांति, घबराहट) रहता है। वे साधु कहते हैं कि हम मोक्ष में जाएँगे। अरे, आप किस तरह मोक्ष में जाओगे? क्या छोड़ना है, वह तो आप जानते नहीं। आपने तो स्थूल को छोड़ा है, आँखों से दिखे, कान से सुनाई दे, वह छोड़ा है। उसका फल तो इस जन्म में

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