Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ कर्म का विज्ञान ३३ तुझे अंदर कैसा दुःख होगा? वैसे ही सामनेवाले को भी दुःख नहीं होगा? इस तरह पूरी थियरी बेटे को समझानी पड़ेगी। एक बार उसके अंदर बैठ जाना चाहिए कि यह गलत है । आप उसे मारते रहते हो, उससे तो बच्चे ढीठ होते जाते हैं। सिर्फ तरीका ही बदलना है। पूरी दुनिया ने स्थूल कर्म को ही समझा है, सूक्ष्म कर्म को समझा ही नहीं है। सूक्ष्म को समझा होता तो यह दशा नहीं होती। चार्ज और डिस्चार्ज कर्म प्रश्नकर्ता : स्थूलकर्म और सूक्ष्मकर्म के कर्त्ता अलग-अलग हैं? दादाश्री : दोनों के कर्त्ता अलग हैं। ये जो स्थूलकर्म हैं, वे डिस्चार्ज कर्म हैं। ये बेटरियाँ होती हैं न, वे चार्ज करने के बाद डिस्चार्ज होती रहती हैं न? हमें डिस्चार्ज नहीं करनी हो, फिर भी वे होती ही रहती हैं न? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : वैसे ही ये स्थूलकर्म, वे डिस्चार्ज कर्म हैं । और दूसरे भीतर नये चार्ज हो रहे हैं, वे सूक्ष्म कर्म हैं । इस जन्म में जो चार्ज हो रहे हैं, वे अगले जन्म में डिस्चार्ज होते रहेंगे । और इस जन्म में पिछले जन्म की बेटरियाँ डिस्चार्ज होती रहती हैं, एक मन की बेटरी, एक वाणी की बेटरी और एक देह की बेटरी - ये तीनों बेटरियाँ वर्तमान में डिस्चार्ज होती ही रहती हैं, और भीतर नई तीन बेटरियाँ चार्ज हो रही हैं । यह बोलता हूँ, तो तुझे ऐसा लगता होगा कि 'मैं' ही बोल रहा हूँ। पर नहीं, यह तो रिकॉर्ड बोल रहा है। यह तो वाणी की बेटरी डिस्चार्ज हो रही है । मैं बोलता ही नहीं हूँ और ये सारे जगत् के लोग क्या कहते हैं कि 'मैंने कैसी बात की, मैंने कैसा बोला!' वे सभी कल्पित भाव हैं, इगोइज़म है । सिर्फ वह इगोइज़म (अहंकार) चला जाए तो फिर दूसरा कुछ रहा? यह इगोइज़म, यही अज्ञानता है और यही भगवान की माया है। क्योंकि करता है कोई और, और खुद को ऐसा एडजस्टमेन्ट हो जाता है कि 'मैं ही कर रहा हूँ।' ये सूक्ष्मकर्म जो अंदर चार्ज होते हैं, वे फिर कम्प्यूटर में जाते हैं

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94