Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ कर्म का विज्ञान दादाश्री : हाँ, वह सब इफेक्ट है। पूरी लाइफ ही इफेक्ट है। उसके अंदर जो भाव होते हैं, वे भाव कॉज़ हैं, और भाव का कर्ता होना चाहिए। जगत् के लोग, वे तो कर्ता हैं। कर्म बँधने से रुक गए यानी पूरा हो गया। ऐसा आपको समझ में आता है क्या? आपके कर्म बँधने से रुक जाते होंगे? किसी दिन देखा है वह? शुभ में पड़ो तो शुभ बंधता है, नहीं तो अशुभ तो होता ही है। कर्म छोडते ही नहीं! और 'खुद कौन है, यह सब कौन करता है', वह सब जान ले, फिर कर्म बंधेगे ही नहीं न! पहला कर्म किस तरह आया? प्रश्नकर्ता : कर्म की थ्योरी के अनुसार कर्म बंधते हैं और उन्हें भुगतना पड़ता है। अब उस तरह आपने कॉज़ और इफेक्ट बताए, तो उनमें पहले कॉज़ फिर उसका इफेक्ट, तो हम तार्किक दृष्टि से सोचें और पीछे जाते जाएँ तो सबसे प्रथम कॉज़ किस तरह आया होगा? दादाश्री : अनादि में पहला नहीं होता न! यह माला आपने देखी है गोलाकार? ये सूर्यनारायण घूमते हैं, तो उसकी बिगिनिंग कहाँ से करते होंगे? प्रश्नकर्ता : उन्हें बिगिनिंग होती ही नहीं। दादाश्री : अर्थात् इस दुनिया की बिगिनिंग किसी जगह पर है नहीं। पूरी ही गोल है, राउन्ड ही है। इसमें से छुटकारा है लेकिन। बिगिनिंग नहीं है इसकी! आत्मा है, इसलिए छुटकारा हो सकता है। पर उसकी बिगिनिंग नहीं है। राउन्ड है पूरा ही, हर एक चीज़ राउन्ड। कोई चीज़ चौकोर नहीं है। चौकोर हो तो हम उसे कहें कि इस कोने से शुरू हुआ है और इस कोने पर मिल गया। राउन्ड में कोना कौन-सा? पूरा जगत् ही राउन्ड है, उसमें बुद्धि काम कर सके, ऐसा नहीं है। इसलिए बुद्धि से कहें, बैठ एक तरफ, बुद्धि पहुँच सके ऐसा नहीं है। ज्ञान से समझ में आए ऐसा है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94