Book Title: Karma Ka Vignan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 35
________________ कर्म का विज्ञान प्रत्येक जन्म पूर्व जन्म का सार प्रश्नकर्ता : अभी जो ये कर्म हैं, वे अनंत जन्मों के हैं? दादाश्री : हर एक जन्म, अनंत जन्मों के सार के रूप में होता है। सभी जन्मों का एक साथ नहीं होता। क्योंकि नियम ऐसा है कि परिपाक काल होने पर फल पकना ही चाहिए, नहीं तो कितने सारे कर्म रह जाएँगे। प्रश्नकर्ता : यह सब पिछले जन्म के साथ जुड़ा हुआ है न? दादाश्री : हाँ, ऐसा है न कि एक जन्म में दो कार्य नहीं कर सकता है, कॉज़ेज़ और इफेक्ट एक साथ नहीं कर सकता। क्योंकि कॉज़ेज़ और इफेक्ट की अवधि साथ में किस तरह हो सकती है? उनकी अवधि पूरी होने पर कॉज़ेज़ इफेक्टिव होते हैं। अवधि पूरी हुए बिना नहीं होते। जैसे कि यह आम का पेड़ होता है न, उस पर फूल आने के बाद इतना-सा आम लगता है। उनके पकने तक समय लगता है या नहीं? यदि हम दूसरे दिन मिन्नत माने कि पक जाएँ, तो पकेंगे? यानी ये कर्म जो बाँधते हैं, उन्हें परिपक्व होने के लिए सौ वर्ष चाहिए, तब फल देने के लिए सम्मुख होते हैं। प्रश्नकर्ता : अर्थात् इस जन्म के जो कर्म हैं, वे पिछले जन्म के ही होते हैं या उससे भी पहले के अनंत जन्मों के होते हैं? दादाश्री : नहीं, ऐसा नहीं है इस कुदरत का। कुदरत तो बहुत शुद्ध है, जैसा तरीका व्यापारियों को भी नहीं आता, उतना अच्छा तरीका है! आज से दसवें जन्म के कर्म जो हुए होंगे न उनका हिसाब निकालकर, वह नफा-नुकसान आगे खींच ले जाता है, नौंवे जन्म में। अब उसमें ये सभी कर्म नहीं आते, सिर्फ हिसाब निकालकर कर्म आते हैं। नौंवें में से आठवें में, आठवें में से सातवें में। इस तरह भीतर जितने वर्षों का आयुष्य होता है, फिर उतने ही वर्षों के कर्म होते हैं। परन्तु वे फिर वैसे रूप में भीतर आते हैं, परन्तु वे एक जन्म के ही कहलाते हैं। दो जन्म के इकट्ठे नहीं कहे जा सकते।

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