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कर्म का विज्ञान
तैयार होकर फल देने लायक हो जाते हैं ।
प्रश्नकर्ता : पिछले जन्म में जो हमने कर्म किए, इस जन्म में उनका फल आया, तो इन सब कर्मों का हिसाब कौन रखता है? उनका बहीखाता कौन रखता है?
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दादाश्री : ठंड पड़ती है, तब पाइप के अंदर पानी होता है, उसे बर्फ कौन बना देता है? वह तो वातावरण ठंडा हुआ इसलिए ! ओन्ली साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स ! ये सब कर्म-वर्म करते हैं, उनका फल आता है वह भी एविडेन्स हैं। तुझे भूख कौन लगवाता है? सब साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स हैं, उनसे सब चलता है!
कर्मफल में 'ऑर्डर' का आधार
प्रश्नकर्ता : कौन-से ऑर्डर (क्रम) में कर्मों का फल आता है ? जिस ऑर्डर में उसका बँधा हुआ हो, वैसे ही ऑर्डर में उसका फल आता है? यानी पहले ये कर्म बाँधा, फिर यह कर्म बाँधा, फिर यह कर्म बांधा। एक नंबर का कर्म यह बाँधा, तो उसका डिस्चार्ज भी फिर पहले वही आता है? फिर दो नंबर का बाँधा, उसका डिस्चार्ज दूसरे नंबर पर आता है, ऐसा है?
दादाश्री : नहीं, ऐसा नहीं है ।
प्रश्नकर्ता : हं, तो कैसा है, वह ज़रा समझाइए ।
दादाश्री : नहीं, ऐसा नहीं है । वे सभी उनके स्वभाव के अनुसार सब सेट हो जाते हैं कि ये दिन में भुगतने के कर्म, ये रात में भुगतने के कर्म, ये सभी... इस तरह सेट हो जाते हैं । ये दुःख में भुगतने के कर्म, ये सुख में भुगतने के कर्म, ऐसे सेट हो जाते हैं । वैसी सब व्यवस्था हो जाती है उनकी।
प्रश्नकर्ता : वह व्यवस्था किस आधार पर होती है ?
दादाश्री : स्वभाव के आधार पर। हम सब मिलते हैं, तो सभी