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* आत्मा के द्वारा आत्मा को देखें । तुम स्वयं ।
सत्य को खाना तुम स्वयं सत्य पथ का निर्माण
सारा और अपने पथ पर स्वयं चला। * अहंकार और समकारने बुद्धि से कहा न मानन्द
को सोया रहने वै, उसे मत जगा, क्योंकि जब वह जाग जाएगा तब न हम रहेगे न त रहेगी और न यह जात रहेगा।
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