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२१-शरीर
सबसे अधिक स्थूल है। पृथ्वी आदि जिन चार भूतोंका उल्लेख पहले किया गया है वे भी वास्तव में आहारक वर्गणाओंसे निर्मित होनेके कारण औदारिक शरीर ही हैं, स्वतन्त्र कुछ नहीं ।
भाषा वर्गणाओंके योगसे शब्द अथवा द्रव्य वचनका निर्माण होता है, इसलिये वह औदारिक शरीरकी अपेक्षा सूक्ष्म है। मनो-. वर्गणाओंसे निर्मित होनेके कारण 'द्रव्य मन' वचनकी अपेक्षा भी सूक्ष्म है। तैजस वर्गणाओंसे तैजस शरीर और कार्मण वर्गणाओंके योगसे कार्मण शरीर बनता है। इसीसे ये दोनों अत्यन्त सूक्ष्म हैं। इन दो शरीरोंको विशेषताओं को जाननेके लिये हमें इनकी मूलभूत इन दो वर्गणाओंका अध्ययन करना चाहिए । ४. तेजस शरीर __ तैजस शरीरका तथा उसके कारणभूत तैजस वर्गणाका लक्षण शास्त्रोंमें नगण्य तुल्य है तथापि विज्ञानकी साक्षीमें हम इसका अध्ययन कर सकते हैं। विज्ञानकी दृष्टिसे तैजस वर्गणाको हम बिजलीकी शक्तिवाला पदार्थ ( इलेक्ट्रानिक मालीक्यूल ) कह सकते हैं। तेजस शब्दका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ ग्रहण करनेपर भी यही अर्थ हाथ आता है, क्योंकि तेजके अर्थमें अग्निकी जातिके प्रत्येक पदार्थ गर्भित हैं। जिस प्रकार अग्नि दीपकके योगसे प्रकाश, कोयलेके योगसे गर्मी और वाष्पके योगसे क्रिया उत्पन्न करती है उसी प्रकार बिजली भी बल्बके योगसे प्रकाश, हीटर, केतली, प्रेस आदि उपकरणोंके योगसे गर्मी और पंखे तथा मोटरके योगसे क्रिया उत्पन्न करती है। ___ इस जातिकी वर्गणाओंके संश्लेपका कार्य होनेसे तैजस शरीरमें भी ये तीनों शक्तियां होनी स्वाभाविक है, जिनका प्रभाव हम अपने इस औदारिक शरीरमें नित्य अनुभव कर रहे हैं। तैजस शरीरको हम विज्ञानकी भाषामें विजलीका शरीर ( इलेक्ट्रिकल बाडी )
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