________________
२४. कामना
१. कामनाको विशेषतायें
कर्म-सामान्य, कृतक कर्म, कर्म-विधान और भाव-कर्मकी विस्तृत विवेचना हो गई। उसीका और अधिक सूक्ष्मताके साथ अध्ययन करनेके लिये कामना नामक यह अधिकार प्रवेश पाता है। कृतक-कर्म तीन प्रकारके बताये गये हैं-जानना, करना तथा भोगना। इन्हींको शास्त्रीय भाषामें ज्ञातृत्व, कर्तृत्व तथा भोक्तृत्व इन तीन नामोंके द्वारा अभिहित किया जाता है। ये तीनों ही कर्म सकाम तथा निष्कामके भेदसे दो-दो प्रकारके होते हैं। फलभोगकी माकांक्षा युक्त कर्म सकाम कहलाता है और उससे निरपेक्ष निष्काम । 'इस व्यापारके द्वारा धनकी प्राप्ति हो जानेपर मैं मनमाने. भोग भोगूंगा' इत्याकारक आकांक्षासे युक्त होनेके कारण धनार्जनका कर्म सकाम है, और इस प्रकारके किसी भी स्वार्थसे निरपेक्ष केवल लोकसंग्रहके लिए अथवा परोपकारके लिये किये गये सकल कर्म निष्काम हैं।
यद्यपि व्यवहार भूमिपर तृष्णा, आसक्ति, लालसा, इच्छा, आकांक्षा, कामना, राग तथा वासना ये सभी शब्द एकार्थवाची
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org