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* आहार शुद्ध होने से अन्त करण की शुद्धिहोती।
है इसी कारण आत्मकल्याण के इच्छुक को
आहारशुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिये। * अन्त करण की शुद्धि से भावना दृढ होती है।
और भावना की स्थिरता से हृदय की समस्त गन्थियाँ खुल जाती हैं।
* मन ही बन्धन है और मन ही मोक्ष । वासना
युक्त मन बन्धन है और वासना मुक्त मन
मोक्ष। * शास्त्रज्ञानपूर्वक विवेक जागृत करे और विवेक
पूर्वक इन्द्रियनिग्रह । इतना किया जाने पर मनोनिरोध संभव है अन्यथा नहीं।
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