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२१-शरीर
१२१ अपनी सूक्ष्मताके कारण उपचेतना-स्वभावी यह कार्मण शरीर दृष्टपथमें न आये परन्तु कर्मके क्षेत्रमें इसका महत्त्व सर्वोपरि है। परमाणु-पुंज रूप कार्मण वर्गणाओंसे निर्मित होनेके कारण यद्यपि यह औदारिक तथा तेजस शरीरकी भांति जड़ है, तदपि मन वचन कायके संस्कारोंको ग्रहण कर लेनेके कारण यह उसी प्रकार चेतनवत् प्रतीत होता है, जिस प्रकार कि बोल-बोलकर सुनाने वाला टेप।
कार्मण-शरीर ही बास्तवमें बन्धनकारी है औदारिक तथा बेजस शरीर नहीं।
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