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शिक्षा की समस्याएं
३५ आज के आदमी में अनुशासन नहीं है । प्रयत्न होता है कि विद्यार्थी में अनुशासन आए । अनुशासनहीनता कोई नहीं चाहता। पिता यह नहीं चाहता कि घर में अनुशासन न हो। गुरु भी नहीं चाहता कि शिष्य अनुशासन में न रहे । प्रत्येक व्यक्ति अनुशासन चाहता है। इतनी चाह होने पर भी अनुशासन नहीं आ रहा है। यह बहुत बड़ी समस्या है। जिसकी चाह हो और वह नहीं हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं किन्तु जिसकी अत्यन्त आवश्यकता हो और वह प्राप्त न हो तो लगता है कि कहीं न कहीं कुछ कमी है।
___अनुशासन आता है बुद्धि से परे और शिक्षा रह जाती है बद्धि की सीमा में ही। एक है वह तट और दूसरा है यह तट । इस तट पर खड़ा आदमी यह चाहे कि वह तट यहां आ जाए, यह कभी संभव नहीं है। दो तट कभी आपस में मिलते नहीं । यदि मिल जाएं तो वे फिर तट नहीं रहते। बीच में पानी की धारा बह रही है, दोनों मिले हुए नहीं हैं, इसीलिए तट हैं। इसी प्रकार हमारे भी दो तट हैं। एक है बौद्धिकता का तट और दूसरा है अनुशासन का तट। बौद्धिकता में ज्ञान की सारी प्रक्रियाएं आ जाती हैं। मन का विकास हो, चाहे इन्द्रियों का विकास हो, यह इसी तट की बात है। एक दूसरा तट है अनुशासन का । जब तक आदमी इस तट को छोड़कर उस तट पर नहीं पहुंचेगा, तब तक अनुशासन नहीं आएगा । बुद्धि के परिणाम
आश्चर्य होता है यह देखकर कि पढ़ा-लिखा आदमी भी बहुत क्रोध करता है। पढ़ा-लिखा आदमी भी बेईमानी करता है, चोरी करता है, दूसरों को कष्ट देता है पर इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि वह पढ़ा-लिखा है, उसमें बुद्धि का विकास हुआ है और बुद्धि का काम ही है- तर्क पैदा करना। तर्क सिखाता है अपना घर भरना और दूसरे को धोखा देना। यह उसके लिए असम्भव नहीं है। ये सब बुद्धि की सीमा में आने वाले कार्य हैं। तब आश्चर्य क्यों होता है? एक बुद्धिमान् व्यक्ति, एक विद्वान् या न्यायशास्त्री ये सारे कार्य करते हैं तो आश्चर्य जैसा क्या है? एक व्यापारी यदि स्मगलिंग करता है, मिलावट करता है, एक राज्य-कर्मचारी यदि रिश्वत लेता है तो हम बुरा मानते हैं पर बुरा क्यों है? उन्हें जो अनुशासन मिला है, उसकी सीमा में ये सारे कार्य वैध माने जाते हैं। इनका आधार है उपयोगिता। उपयोगिता होती है तो स्त्रियों को आबादी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है और अनेक
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