________________
जीवन विज्ञान और सामाजिक जीवन जीवन के साथ संबंध स्थापित होता है। इनसे समाज प्रभावित होता है।
नियमों का बहुत बड़ा जाल बिछा हुआ है। समय-समय पर नियम बनते रहते हैं। नये नियम बनते हैं, पुराने मिटते हैं और कुछ नियमों में परिवर्धन,परिशोधन होता है। नियमों का पालन भी होता है और उल्लंघन भी होता है। नियमों का अतिक्रमण असत्य या अन्याय माना जाता है। ऋजुता सत्य
सत्य का एक अर्थ है-ऋजुता। यह आध्यात्मिक सत्य है। ऋजुता का अर्थ है-सरलता। ऋजुता का अर्थ है-अमाया, अछलना, अप्रवंचना। माया असत्य है। छलना और प्रवंचना असत्य है। ऋजुता के तीन प्रकार हैं-मन की ऋजुता, वचन की ऋजुता और शरीर की ऋजुता। ये तीनों सत्य हैं। यह है मानसिक सत्य, वाचिक सत्य और कायिक सत्य। छिपाना असत्य है। आदमी छिपाता बहुत है। वह अपनी कमजोर और अप्रकटनीय स्थिति को छिपाता है। जो पाने की लालसा है उसे भी छिपाता है। इस प्रवृत्ति ने संदेह को जन्म ही नहीं दिया, उसे बढ़ाया भी है। ऋजुता में संदेह नहीं उभरता, अविश्वास पैदा नहीं होता। संदेह में शक्ति का अपव्यय होता है। संदेह के अभाव में आदमी पच्चीस प्रतिशत शक्ति बचा लेता है। यह शक्ति के अपव्यय का न्यूनतम अनुमान है। मायाचार से शक्ति बहुत खर्च होती है।
संदेह की कोई सीमा नहीं है। आदमी प्रत्येक प्रवृत्ति में सन्देह कर लेता है संदेह के कारण अनेक कल्पनाएं और अनेक विचार उत्पन्न होते हैं और तब आदमी न जाने क्या-क्या नहीं करता।
संदेह के कारण शक्ति का अत्यधिक अपव्यय होता है। छिपाने की बात से संदेह उत्पन्न होता है। यदि संदेह और अविश्वास न हों तो अनेक दुर्घटनाएं और संघर्ष समाप्त हो सकते हैं। पारिवारिक और सामाजिक कलहों का मुख्य कारण संदेह होता है। संदेह के कारण बड़े-बड़े साम्राज्य नष्ट होते देखे गए हैं।
इस ऋजुतात्मक सत्य का अतिक्रमण करने के कारण समाज ने कितनी कालरात्रियां भोगी हैं, कितनी कठिनाइयों का सामना किया है ? ऋजुता में संदेह नहीं पनपता। संदेह नहीं होता है तो अनेक दुर्घटनाएं अपने आप टल जाती हैं। मनमुटाव का एक बड़ा कारण संदेह है, अऋजुता है।
छुपाव बुराइयों की जड़ है। कानून एक सत्य है, नियम एक सत्य है। पर बेचारा कानून या नियम क्या करे, जब समाज में छिपाने की अधिक प्रवृत्ति हो। छिपाव में प्रत्यक्षत: बुराई नहीं होती, बुराई भूमिगत होती है। राशन का नियम नहीं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org