Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 224
________________ जीवन विज्ञान : प्रायोगिक २०७ जब हमारी प्राणधारा या चित्त की गति नीचे की ओर होती है, तो वासना-केन्द्र सक्रिय होता है, जागृत होता है और ज्ञान केन्द्र कमजोर हो जाता है। जब हमारी प्राणधारा या चित्त की गति ऊपर की ओर होती है, तब ज्ञान केन्द्र सक्रिय होता है, जागृत होता है, और वासना-केन्द्र क्षीण हो जाता है। विधि चैतन्य-केन्द्र प्रेक्षा का प्रारम्भ शक्ति केन्द्र की प्रेक्षा से किया जाता है, फिर क्रमशः स्वास्थ्य केन्द्र, तैजस-केन्द्र, आनन्द केन्द्र, विशुद्धि केन्द्र, ब्रह्म केन्द्र, प्राण केन्द्र, चाक्षुष केन्द्र, अप्रमाद केन्द्र, दर्शन केन्द्र, ज्योति केन्द्र, शांति केन्द्र, और अंत में ज्ञान-केन्द्र की प्रेक्षा की जाती है। प्रत्येक केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित कर वहां होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव किया जाता है। प्रारम्भ में प्रत्येक केंद्रों पर २ से ३ मिनट तक ध्यान किया जाता है। साधक को इस बात की सावधानी रखनी होती है कि तैजस-केंद्र और उससे नीचे के केंद्रों पर ध्यान करने के पश्चात् आनन्द केंद्र और ऊपर के केन्द्रों पर ध्यान करना अनिवार्य है। यदि सभी पर ध्यान करने का समय न हो तो आनन्द या विशुद्धि केन्द्र से ही ध्यान शुरू किया जाता है, नीचे के केन्द्रों को छोड़ दिया जाता है। प्रयोग १. शक्ति केन्द्र- चित्त को शक्ति केन्द्र-पृष्ठरज्जु के निचले सिरे पर केन्द्रित करें। वहां होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करें। केवल शक्ति केन्द्र के प्रति पूर्ण जागरूक रहें। पूरी एकाग्रता बनी रहे। २. स्वास्थ्य केन्द्र- चित्त को स्वास्थ्य केन्द्र- पेडू के मध्य भाग पर केन्द्रित करें। आगे से पीछे सुषुम्ना तक चित्त को पूरे भाग में फैलाएं। वहां पर होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करें। ३. तैजस केन्द्र- चित्त को तैजस केन्द्र- नाभि के स्थान पर केन्द्रित करें। आगे से पीछे सुषुम्ना तक चित्त को फैलाएं। जैसे टॉर्च का प्रकाश सीधी रेखा में फैलता है, वैसे ही चित्त के प्रकाश को सीधी रेखा में पीछे तक फैलाएं। पूरे भाग में होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करें। गहरी एकाग्रता के साथ अनुभव करें, जिससे स्वत: ही श्वास-संयम हो जाए। ४. आनन्द केन्द्र- चित्त को आनन्द केन्द्र- हृदय के पास (दोनों फुफ्फुस के बीच में) जो गढ़ा है, वहां पर केन्द्रित करें। आगे से पीछे तक टॉर्च Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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