Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 234
________________ जीवन विज्ञान: प्रायोगिक (२) अब पूरक करते हुए बायें पैर के घुटने को दायें पैर की तली में लगाएं । शरीर दायीं ओर करवट लेगा, गर्दन बायीं ओर घुमाएं। वापिस श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं । छठी क्रिया शरीर की स्थिति पूर्ववत् रहेगी । छठी किया की स्थिति - दोनों पैर के घुटनों को मोड़ कर पांव तल भूमि पर सीधा रखें, ध्यान रहे पैर नितम्बों से सटे रहे। (१) पूरक कर दोनों घुटनों को बाईं ओर भूमितल की ओर ले जाएं, शरीर भी बायीं ओर करवट लेगा । गर्दन दाईं ओर घुमाएं। रेचन करते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं । (२) पूरक कर दोनों घुटनों को दाहिनी ओर भूमि से स्पर्श कराएं, शरीर दाहिनी ओर करवट लेगा । गर्दन बाईं ओर घुमाएं, रेचन करते हुए मूल स्थिति में आ जाएं । सातवीं क्रिया शरीर की स्थिति पूर्ववत् रहेगी । पूरक कर कमर की ओर नितम्ब के भाग को भूमि से ऊपर उठाकर त्वरित गति से भूमि पर गिराएं । रेचन करें । इस क्रिया को तीन बार दोहराएं, फिर कायोत्सर्ग की मुद्रा में २१७ आ जाए । एड़ी से लेकर कन्धे तक शरीर को ऊपर उठाएं। एक साथ त्वरित गति से भूमि पर गिरायें । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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