Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 233
________________ २१६ (२) पूरक कर पैर को दाहिनी ओर भूमि से स्पर्श कराएं। पूरा शरीर दाहिनी ओर करवट लेगा, गर्दन बायीं ओर घुमाएं। रेचन करते हुए मूल स्थिति में आ जाएं । नोट- इस क्रिया को दूसरे पैर से भी दाहराएं । चौथी क्रिया जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रायोगिक शरीर की स्थिति पूर्ववत् रहेगी । चौथी क्रिया की स्थित - बाएं पैर को सीधा रखें दाएं पैर को मोड़कर पांव तल को घुटने के पास स्थापित करें । (१) पूरक कर बाएं पैर के ऊपर से दाएं घुटने को बायीं ओर भूमि से स्पर्श कराएं। दाहिना कन्धा बाईं ओर करवट लेगा, गर्दन को दाहिनी ओर घुमाएं। रेचन करते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं। दाएं पैर को सीधा रखें। बाएं पैर को पूरक करते हुए दाहिने पैर के ऊपर से बाएं पैर के घुटने को भूमि से स्पर्श करायें । रेचन करते हुए मूल स्थिति में आ जाएं। पांचवीं क्रिया 1 स्थिति- दोनों पैरों के घुटनों को मोड़ें पैरों के बीच इतना फासला रहे कि एक पैर का घुटना दूसरे पैर की तली में ला सकें । (१) पूरक करते हुए दायें पैर के घुटने को बायें पैर की तली में लगाएं। शरीर बायीं ओर करवट लेगा, गर्दन दायीं ओर घुमाएं। फिर श्वास छोडते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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