Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 221
________________ २०४ जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग एक मिनट तक प्रेक्षा कराएं।) अधोलोक की यात्रा सम्पन्न। अब मध्यलोक की यात्रा प्रारम्भ करें। पेडू के पूरे भाग में चित्त की यात्रा करें-दाएं-बाएं, आगे-पीछे, बाहर और भीतर- प्रत्येक भाग में चित्त को केन्द्रित करें और वहां पर होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करें। केवल द्रष्टाभाव से देखें। ....... (एक-दो मिनट बाद) इसी तरह पेट के पूरे भाग की प्रेक्षा करें। ......... (एक से दो मिनट।) अब पेट के प्रत्येक भीतरी अवयव की प्रेक्षा करें- दोनों गुर्दे ......"बड़ी आंत........'छोटी आंत........ अग्न्याशय (पैंक्रियाज).......पक्वाशय (डियोडिनम्)....... आमाशय..... "तिल्ली (स्प्लीन)....... यकृत् (लीवर) और तनुपट (डायाफ्राम)......(प्रत्येक अवयव पर २० से ३० सैकिण्ड रुकें।) __ अब वक्षस्थल (छाती) के पूरे भाग की यात्रा करें- दाएं-बाएं, आगे-पीछे, बाहर और भीतर, प्रत्येक भाग में चित्त को केन्द्रित करें और वहां पर होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करें। अब प्रत्येक अवयव की प्रेक्षा करेंहृदय.....'दाईं पसलियां......"बाईं पसलियां......"दायां फेफड़ा....."बायां फेफडा....."पीठ का पूरा भाग। अब दोनों हाथों की प्रेक्षा करें। दायां हाथ........ अंगूठा........ अंगुलियां ....... हथेली........'मणिबंध (कलई)........"कलई से कोहनी तक ....... "कोहनी से कंधे तक की प्रेक्षा करें। इसी प्रकार बाएं हाथ के अंगूठे से कंधे तक एक-एक भाग की प्रेक्षा करें। ......... कंठ......."स्वरयंत्र........ गर्दन........ और सुषुम्ना-शीर्ष ...... प्रत्येक भाग पर क्रमशः चित्त की यात्रा करें और प्रेक्षा करें। मध्यलोक की यात्रा सम्पन्न। अब ऊर्ध्वलोक की यात्रा प्रारम्भ करें- ठुड्डी........"होठ ......."मसूढे ....... दांत....''जीभ......"तालु....दायां कपोल...... बायां कपोल ........"नाक......."दाईं आंख'......"बाई बांख'......दाई कनपटी, दांया कान......."बाई कनपटी, बांया कान ....... ललाट........ और सिर। प्रत्येक भाग की प्रेक्षा करें। ऊर्ध्वलोक की यात्रा सम्पन्न। ___ अब एक साथ पूरे शरीर की प्रेक्षा करें। जो आसानी से खड़े-खड़े कर सकते हैं, वे खड़े-खड़े करें। चित्त में यह क्षमता है कि वह एक बिंदु पर केंद्रित हो सकता है और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236