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जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग
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यदि यह अभ्यास तीन महीने तक निरन्तर चलता है तो वांछित परिणाम आ सकता है। यह तब केवल सिद्धांत को व्यावहारिक बनाया जा सकता है।
बौद्धिक विकास के लिए भी बच्चे शब्दों को दोहराते हैं। दस-बीस बार दोहराने से वे शब्द कंठस्थ हो जाते हैं। इसी प्रकार संस्कार का निर्माण करने के लिए शब्दों को हजार बार दोहराना जरूरी है। अनुप्रेक्षा का अर्थ है-पुरनावृत्ति करना। इसे भावना कहा जाता है। आयुर्वेद में भावना का बहुत प्रचलन है। उसमें सौ भावनाओं से भावित, हजार भावनाओं से भावित आदि औषधियां होती हैं। उनके परिणाम में बहुत बड़ा अन्तर आ जाता है। जैसे-जैसे औषधि भावित होती जाती है, सूक्ष्म होती जाती है, वैसे-वैसे उसकी शक्ति बढ़ती जाती है। यह सही है कि आवृत्तियां बढ़ेंगी, उतनी ही क्षमता बढ़ेगी। वह आवृत्ति एक फ्रीक्वेन्सी में चलती है तो क्षमता में संवर्धन होता है। यह अनुप्रेक्षा का ही प्रयोग है।
१. २.
अभ्यास जीवन-विज्ञान में मस्तिष्क प्रशिक्षण के कौन से प्रयोग उपलब्ध होते हैं ? आवेश और आवेग का नियमन करने के लिए जीवन विज्ञान में कौन-सी विधियां हैं ? उच्च शिक्षा ग्रहण करने पर भी व्यक्ति के आवेश-आवेग अनियन्त्रित और अंसतुलित रहते हैं, वैज्ञानिक आधार पर इसके कारणों की व्याख्या करें ।
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