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जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग जानें-ये तीन दिशाएं हमारे सामने स्पष्ट होती हैं, प्रयोग चलते हैं तो आस्था का निर्माण अपने आप होता है।
___ यदि मन में सचमुच बदलने की भावना है, जो है वही नहीं रहना चाहते, जैसे हैं वैसे ही नहीं रहना चाहते और आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम परिवर्तन की प्रक्रिया का प्रयोग करें, संकल्प को अपनी कोशिकाओं तक पहुंचा दें। निश्चय रखें, संदेह न करें। एक किसान की भांति मन में अटूट विश्वास रखें कि खेती होगी। बीज बोते ही जिस किसान का हाथ कांप उठता है। वह खेत कभी पूरा नहीं पड़ेगा। हमें वैसा किसान बनना है, जो अवृष्टि की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए भी अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं होता। एक बार पानी गिरता है, तत्काल खेत में बीज बोना शुरू कर देता है। हमारी वैसी आस्था जागे, हमारा वैसा संकल्प जागे, हम परिवर्तन के सूत्रों का प्रयोग करें, स्वतंत्र व्यक्तित्व के निर्माण का रहस्य उपलब्ध हो जाएगा।
अभ्यास
स्वतंत्र व्यक्तित्व कौन होता है ? समझाइए । स्वतंत्र व्यक्तित्व के निर्माण के लिए प्राण-शक्ति का विकास क्यों जरूरी
जीवन विज्ञान पद्धति में व्यक्ति के परिवर्तन की प्रक्रिया क्या है, कुछ सूत्रों पर प्रकाश डालिये।
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