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जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग गलत अर्थ है। इस अर्थ में हठयोग का प्रयोग नहीं हुआ है। यह एक सांकेतिक शब्द है। 'ह' और 'ठ' अर्थात् चन्द्र और सूर्य। हमारा बायां स्वर चन्द्र है। दायां स्वर सूर्य है। जो व्यक्ति समभाव का विकास करना चाहता है जीवन में संतुलन लाना चाहता है, उसे चन्द्र और सूर्य- दोनों की साधना करनी होगी।
चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा।
सागरवरगंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसतुं ॥ इसमें सिद्ध की स्तुति की गई है। परमात्मा चन्द्रमा की भांति निर्मल होता है, सूर्य की भांति प्रकाश देने वाला होता है, समुद्र की तरह गंभीर होता है। यह है परमात्मा का स्वभाव, परमात्मा की प्रकृति। चांद का उपयोग निर्मलता के लिए तथा सूर्य का उपयोग करना प्रकाश के लिए। इससे जीवन में समता आती है। जहां चांद का प्रयोग नहीं, सूर्य का प्रयोग नहीं वहां संतुलन नहीं आता, समता नहीं आती।
ध्यान का एक प्रयोग है प्राण-केन्द्र के साक्षात्कार का। उसके प्रारंभ में दो बार चन्द्रस्वर से श्वास लिया जाता है और सूर्यस्वर से निकाला जाता है। प्रश्न हो सकता है- ऐसा क्यों? सूर्य स्वर से शुरू क्यों न करें? केवल बाएं स्वर से ही क्यों शुरू करें? इसका रहस्य है- हमारे मन का सम्बन्ध चन्द्रमा से है। चन्द्रमा का मन पर असर होता है। चन्द्रमा के द्वारा जैसे समुद्र में ज्वार-भाटा आता है वैसे ही चन्द्रमा के द्वारा मन में भी ज्वार भाटा आता है। कुछ विशेष दिन होते हैं जब मनुष्य को चन्द्रमा बहुत प्रभावित करता है। चन्द्रमा का मन के साथ बहुत गहरा सम्बन्ध है- मन को शान्त करने की, मन को विकल्पशून्य करने की मन को अमन की साधना होती है तो वहां प्रारंभ में चन्द्रस्वर का प्रयोग शुरू किया जाता है। जहां प्राणशक्ति को तीव्र करने की प्रक्रिया है, वहां सूर्यस्वर के द्वारा प्रयोग किया जाएगा। चन्द्रमा और सूर्य- इन दोनों की साधना के बिना हमारे जीवन में संतुलन नहीं आता, समता नहीं आती। परिवर्तन की प्रक्रिया में बहुत बड़ा महत्त्व है- चन्द्र और सूर्य का। चन्द्र और सूर्य हैं निर्मलता और प्रकाश के प्रतीक। बायां स्वर निर्मलता का प्रतीक है और दायां स्वर सक्रियता और प्रकाश का प्रतीक है। जिस व्यक्ति ने अपने श्वास को नहीं समझा, श्वास को नहीं साधा, वह जीवन में परिवर्तन नहीं ला सकता।
परिवर्तन की बहुत बड़ी प्रक्रिया है- श्वास का अनुभव। भावना का प्रयोग
परिवर्तन का एक सूत्र है- भावना का प्रयोग। एक व्यक्ति ने संकल्प किया
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