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जीवन विज्ञान-शिक्षा की अनिवार्यता
४३ किया और शस्त्र ने मनुष्य को सदा भयभीत बनाए रखा, उसे भीरू बना दिया। आज का यह प्रबल स्वर है कि निःशस्त्रीकरण हो। अनेक राष्ट्रों ने मिलकर इस दिशा में प्रयत्न किया है। अनेक संधियां हुई हैं पर अभी काम पूरा हो नहीं सका, किन्तु इस सचाई को हम अस्वीकार नहीं करेंगे कि मनुष्य सदा निःशस्त्रीकरण चाहता है, शस्त्रीकरण नहीं चाहता, शस्त्रों को नहीं चाहता, डराने वाले साधनों को, हथियारों को नहीं चाहता। वह चाहता है कि कोई डराने वाला व्यक्ति भी न हो और डराने वाले साधन भी न हों। पूरा अभय का वातावरण हो। हर व्यक्ति भय मुक्त होना चाहता है, किन्तु शस्त्रों की दुनिया में कोई भय मुक्त नहीं होता। शस्त्र की नयी व्याख्या
प्रश्न है- वास्तव में शस्त्र क्या है? हमने व्यवहार के धरातल पर बन्दूक, तलवार, तोप, प्रक्षेपास्त्र आदि आधुनिक शस्त्रों को शस्त्र मान रखा है, किन्तु अध्यात्म की भाषा में शस्त्र दूसरा ही है। अध्यात्म की भाषा में शस्त्रों का वर्गीकरण मिलता है। स्थानांग सूत्र में दस प्रकार के शस्त्रों का वर्गीकरण किया गया है। उनमें नमक भी एक शस्त्र है, अग्नि एक शस्त्र है, जहर एक शस्त्र है। शस्त्र का मतलब है- मार डालने वाला। जो मार डालता है वह सब शस्त्र है। क्या दुनिया में कोई ऐसी चीज है जो आदमी को न मारे ? एक भी वस्तु ऐसी नहीं है, जो आदमी को नहीं मारती। खोजने पर भी नहीं मिलेगी। मारे या न मारे यह दूसरी बात है पर न मार सके, ऐसी कोई भी चीज नहीं मिलेगी। एक चींटी भी आदमी को मार डालती है। एक छोटा-सा रज-कण आदमी को मार डालता है। एक वायरस, एक जर्म, एक कीटाणु आदमी को मार डालता है। बहुत बार तो जिन पदार्थों को हम अपनी रक्षा का साधन समझते हैं, वे साधन ही मार डालते हैं, आत्मघाती बन जाते हैं। कोई भी ऐसा नहीं, जो शस्त्र न हो। नमक भी शस्त्र है। नमक इतना तेज शस्त्र है कि वह सब कुछ गला देता है। कण-कण को गला देता है। बहुत नमक खाने वाले भी यह अनुभव करते है कि नमक कितना तेज शस्त्र है। ज्यादा नमक खाने वाले का B.P. बता देता है कि नमक कितना बड़ा शस्त्र है, मार डालने वाला शस्त्र है। चीनी भी शस्त्र है। वह मीठा जहर है। चिकनाई भी शस्त्र है। घी
और तेल भी शस्त्र है। थोड़ी-सी हार्ट-ट्रबल होती है तो डॉक्टर कहता हैपहले चिकनाई बन्द करो। यदि अमृत हो तो बन्द किसलिए ? पुराने लोगों ने
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