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कॉन्फरन्स का पंजाब अधिवेशन
पंजाब का सौभाग्य है कि कॉन्फरन्स के आगामी अधिवेशन का महासभा द्वारा दिया गया निमन्त्रण स्वीकृत हो गया है और लगभग तीन मास बाद पंजाब का उद्योग केंद्र लुधियाना तीन दिन के लिये भरत जैन समाज का केद्र बन जाएग। हमें इस गीत पर गर्व है कि कन्फरन्स ने जैन समाज के लिए अनेक सेवा कार्य किए हैं। समाज के अनेक निष्ठावान् निःस्वार्थ आर समर्थ कार्य कर्ताओं का इससे संबंध रहा है। कॉन्फरन्स के संस्थापक श्री गुलाबचन्द दडा, एम. ए., श्री. मंतीचन्द किड कर श्री मोहनलाल टली देश ई. श्री. मोतीलाल मूलजी, श्री. बहादूर सिंह सिंधी, तथा श्री. भाईलाई आदि के नाम नहीं किए या सकते इन्होंने नपस्थति में केन समाज की विकट समस्याओं को हल किया, जब हमारे तीर्थस्थानों अथवा धार्मिक अधिकारों पर आक्रमण हुआ, कोन्फरन्स ने शक्ति और साधनों के अनुसार हमारा नेतृत्व किया और विजय दुर्दुभि बजाई । श्वेताम्बर कॉन्फरन्स हेरल्ड, जैन युग, कॉन्फरन्स पत्रिका और कोन्फरन्स की रिपोर्ट, कॉन्फरन्स द्वारा किए गये कार्य की मुंहबोलती तस्वीरें हैं।
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कॉन्फरन्स के वर्णन के समय पंजाब केसरी जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी के प्रति मस्तक श्रद्धा से स्वयमेत्र नत हो जाता है। वे इस संस्था के शक्तिस्तंभ और प्राग थे। शिक्षा प्रचार मध्यम श्रेणी के लोगों की सहायता तथा साधन हीन छात्रों की उच्च शिक्षा के कार्य भी जी की ही मधुर परिणाम थे। यह ठीक है कि कोल्फास की अधिकतर बंबई राज्य तक सीमित रही हैं, देश के अन्य प्रांतो में कॉन्फरन्स अपना संदेश यथेष्ठ रूप में नहीं पहुँचा सकी । इस अधिवेशन में हमें इस ओर ध्यान देना है और जहां कहीं जैन परिवार अल्प संख्या में भी रहते हों वहां भी हमें अपना संघटन स्थापित करना है। वास्तविक अखिल भारतीय रूप तभी प्राप्त हो सकता है जबकि हम सभी
श्री. बालूरामजी जैन
जैनों के साथ संपर्क स्थापित कर उनकी कठिनाइयों और समओं को समझते हुये उन्हें गले लगा सकें ।
पंजाब में आग. मी अधिवेशन निमंत्रित करते समय हमारे सम्मुख कई उद्देश्य हैं। हम जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ की इसे यथार्थ प्रतिनिधि सभा बनाना चाहते हैं और इस प्रकार इसे नया बल प्रदान करने के आकांक्षी है। इस कार्य के लिये द
संगठन बनाना होगा। यदि देखी कैसे विश्वेंद्र में इसका एक कार्यालय स्थापित हो जाए तो बहुत अच्छा हो ।
हम यह भी चाहते हैं कि भिन्न २ जैन सम्प्रदायों को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए हमारी कॉन्फरन्स पूरा प्रयत्न करे । गुरुदेव बंबई में हमारा मार्गदर्शन कर गए थे । अहिंसा धर्म, जैन साहित्य और कला का प्रचार एकता के अभाव में संभव नहीं। हम सत्र प्रवृत्तियों से परिचित रहें तथा नवीन साहित्य इतिहास और अनापश्यरों में जैन धर्म दर्शन और कला को उचित स्थान दिलाएं।
भारत सरकार और राज्य सरकार उन साधारण की सहायता के लिये अनेक योजनाएं ना चुकी हैं। कोन्फ रन्स का कर्तव्य है कि वह उनसे परिचय प्राप्त कर अपने भाईयों के लाभ के लिए योग्य सहायता प्राप्त करे । छोटे उद्योग धन्धे सहकारी समितियां सस्ते घरों के निर्माण के लिए ऋण, देश विदेशों में उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिये आदि इन योजनाओं के सागंत है, हम इन से अपनी समाज अनेक विध सेवा कर सकते है ।
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मुझे विश्वास है कि कॉन्फरन्स के कर्णधार इस ओर ध्यान देंगे । साथ ही मैं पंजाब श्री संघ का ध्यान इस ओर
चाहता हूँ कि हमने जो जिम्मेदारियां उठाई हैं उन्हें तन, मन, धन से निभाना है। सारे भारत के प्रतिशित बैन हमारे अतिथि होंगे। अपने साधनों के अनुसार उनका स्वागत करना है तथा कॉन्फरन्स को नया रचनात्मक जीवन प्रदान करने में पूर्ण सहयोग देना है। मेरी प्रार्थना है कि पंजाब जैन समाज का बच्चा २ इसके लिये अभी से तैयार हो जाए।