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जनशिलालेख-सग्रह
[२५[इस ताम्रपत्रके प्रारम्भमें गग वशके राजाबोको वशावली इस प्रकार बतलायी है - कोगणिवर्मा माधव - विष्णुवर्मगोप- माधव - अविनोत कोगणिवृद्धराज - दुविनीत - मुष्कर कोगणिवृद्धराज- श्रीविक्रम पृषिवोकोगणिवृद्धराज - श्रीवल्लभ पृथिवीकोगणिवृद्धराज । श्रीवल्लभके बन्धु शिवकुमार अवनिमहेन्द्र पृथिवीकोगणिवृक्षराजके शामनकालमें यह लेख लिखा गया था। पल्लवेल अरगने राजाकी अनुमतिसे केल्लिपुसूर ग्रामका एक खेत, बगीचा और कुछ जमीन एक जिनमन्दिरको दान दो उसका इस लेखम निर्देश है। इसी ममय गजेनाड निवामी कण्णम्मन्न भी कुछ खेत इम मन्दिरको अर्पण किये। भागोटेगरने एक बगीचा तथा ओरकल्वायगर और सीम्पालवायगर्ने कुछ खेत दान दिये । राणाने भी कुछ खेत दान दिये थे। इम जिनमन्दिरके अधिष्ठाता चन्द्रमेनाचार्य थे।]
[ए० रि० म० १९२५ पृ० ९०]
ર:૨૯૭ कोनकोण्डल (अनन्तपुर, आन्ध्र)
७वीं सदी, कपट [ये तीन लेख मामिद्धलगट्ट नामक पहाडीपर पापाणोपर खुदे हैं। इनमे निम्नलिखित नाम उत्कीर्ण है -
सिंगनन्टिवन्दिसन् २ श्रीउरिगपमिण्डि
३ श्रीसूलाकोमरन् इनकी लिपि ७वी सदीकी है।]
[रि० सा० ए० १९४०.४१ क्र० ४५४-५५-५६ पृ० १२६ ]