Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 379
________________ ९३ ६४ ६५ ६६ ९० ६८ ९९ १०० १०१ १०२ नागपुरके लेख शके १५८१ मौ० [फा० ० ३ मू०स० म० पद्मकीर्ति सां० ज्ञा० नमेंट माग्या भ्राता । ( विवरण क्र० २०२ ) श० १५८१ ० ० पश्द्म० भ० जे० का० ना० बघरवाल लुगाई हा पुता सा मा वा मा त (2) गगु । ( विवरण क्र० ४०६, ४०६ ) सक १५८२ स्यार्वरी नाम सवत्सरं तीथ फाल्गुण सुट दममी १० ॥ श्रीशांतीनाथचैत्यालय श्रीबलात्कार गणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुंडकुद्राचार्यान् महारक श्रीपद्मकीनि उपदेशात रामटेक नम्र जाती महतवाल रायानी जाई । ( विवरण क्र०२७३ ) मके १५८२ फालगुण शुद्ध ७ तिळक सेन महारक श्रीजिनसेन बघेरवादज्ञाती चवरिया गोत्रे सा० मार्या " नित्य प्रणमति । ( विवरण क्र० ४४५ ) ममत १७१८ | ( विवरण क्र० १२३ ) शके १५८३ प्रभवनाममवत्परं ज्येष्एवढी प्रथम व० कु० । ( विवरण क्र० २२९ ) 딩 शके १५८६ वर्षे क्रोधनामम वत्सरं तिथी फागुण शुट ५ भोमूलमधे यास्कारगणे सरस्वतीगच्छे भ० धर्मचद्र तरपट्टे भ० धर्म · ४०७ 1 भूषण महाराज प० नेमाजी मार्या राजाई पुत्र सोयराजी ता प्रतिष्टित | ( विवरण क्र० २०८ ) शक १५८६ । ( विचरण क्र० ३८८ ) शके १५८९ | ( विवरण क्र० ७ > शके १५९२ वैमास मुलसघ सरस्वतीगच्छ वलात्कारगणे कुकु ढाचार्यान्वये महारक कुमुदचद्र तत्पट्टे म० अजितको ति त० भ० विशालकीर्ति उपदेशात' सोनोपढित रोड । ( विवरण क्र० १८० ) १०३ संमत १७३१ | ( विवरण क्र० १२२ )

Loading...

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464