Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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नागपुरके लेख
शके १५८१ मौ० [फा० ० ३ मू०स० म० पद्मकीर्ति सां० ज्ञा०
नमेंट माग्या भ्राता । ( विवरण क्र० २०२ )
श० १५८१ ० ० पश्द्म० भ० जे० का० ना० बघरवाल लुगाई हा पुता सा मा वा मा त (2) गगु । ( विवरण क्र० ४०६, ४०६ )
सक १५८२ स्यार्वरी नाम सवत्सरं तीथ फाल्गुण सुट दममी १० ॥ श्रीशांतीनाथचैत्यालय श्रीबलात्कार गणे सरस्वतीगच्छे श्रीकुंडकुद्राचार्यान् महारक श्रीपद्मकीनि उपदेशात रामटेक नम्र जाती महतवाल रायानी जाई । ( विवरण क्र०२७३ ) मके १५८२ फालगुण शुद्ध ७ तिळक सेन महारक श्रीजिनसेन बघेरवादज्ञाती चवरिया गोत्रे सा० मार्या " नित्य प्रणमति । ( विवरण क्र० ४४५ )
ममत १७१८ | ( विवरण क्र० १२३ )
शके १५८३ प्रभवनाममवत्परं ज्येष्एवढी प्रथम व० कु० । ( विवरण क्र० २२९ )
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शके १५८६ वर्षे क्रोधनामम वत्सरं तिथी फागुण शुट ५ भोमूलमधे यास्कारगणे सरस्वतीगच्छे भ० धर्मचद्र तरपट्टे भ० धर्म
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४०७
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भूषण महाराज प० नेमाजी मार्या राजाई पुत्र सोयराजी ता प्रतिष्टित | ( विवरण क्र० २०८ )
शक १५८६ । ( विचरण क्र० ३८८ )
शके १५८९ | ( विवरण क्र० ७ >
शके १५९२ वैमास मुलसघ सरस्वतीगच्छ वलात्कारगणे कुकु ढाचार्यान्वये महारक कुमुदचद्र तत्पट्टे म० अजितको ति त० भ० विशालकीर्ति उपदेशात' सोनोपढित रोड ।
( विवरण क्र० १८० )
१०३ संमत १७३१ | ( विवरण क्र० १२२ )

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