Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 432
________________ 268 कुट्टिगल १६ कुण्डि २२, ६३ कुरगांडु ३१९ कुरुवटिमिदि ३१८ जनशिलालेस संग्रह कुलगाण १७ कुलचन्द्र ५७.८, १५७-८, २५७ कुलत्तूर ३९१ कुलसर १५४ कुलोत्तुंग १२१, १२७, १४०, १४५-६, १६६, २५१, २७३ ३९१-२ कुलोत्तोडवरायन १६६ कुसुम ४ कुमुमजिनालय ३७६ कुकुमदवी २५ कुगियवमट्टि ३६८ कृण्डि ७९, ८१, १२८, १३७, १५३, १६४, २३५, २४१, २४३, २४६, २८९ नूष्माण्टी विषय १५ कृष्णदेव २७६ कृष्णदेवराय ३१३-४ कृष्णणगज १४४-५ कृष्णराज ३१, ४४, ५३, १०९, १५२, २३६, ३५१ कृष्णवर्मा १७ कृष्णसेट्टि ३८१ केनगावुड १०७, २२७ बेतस्य ३६३ केतिसेट्टि १०८, १८२, २०५ कैतीज ८८-९ वैम्पम्मणि ३५१ केरवसे २९९ सन् १७९ बेलगेरे २७० वेडिवीरभद्र ३४१ केलferटप्प ३३९ harsaरम ९५, २०२ केल्लिपुर १८-२० बेद्यदि २६६ केाव १९५, १९७, २६५ ३०२५, ३६९ केशवदेवी २८३ केशवस्य १४६ केशवरम ६ . केशवसु५१-५२ केशवादित्य ८०, १५१ कविराज ९१ केमरिसेट्टि २०७ केमिट्टि २२६ कैतटुप्पूर १४१ कोकलपुर ९४

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