Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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०७६
द्रोहघरट्टाचारि १५६ द्वीपितटाक २९४
धन्यवसन्त २४
धरवृद्धि ६
धर्मकीत ४०३-४
धर्मचन्द्र ३१७, २४०, ४००, ४०४५, ४०७-१०, ४१२-३, ४१६,
४२८
जैन शिलालेख संग्रह
धर्मपुर ३०३ धर्मपुरी ३८-९
धर्मभूषण २८८, ३११, ३९७,
३९९-४०१, ४०५-८, ४१०
धर्मबोलल ९४,२६३
धर्मसेन २६९
घवल ४६, ४९, ५२
धारवाड ५३
धारावर्ष २८, ३०
घुरामोरो गोत्र ४२२
धृति २७ धोरजिनालय ४४, ९५, १८७
ध्रुव ३०, ३२
नकुलरस ८८-९
नगिरि २९७-८, ३०३, ३२७ नदिहरलहल्लि १८७, १९८ नदूलडागिका १६०, १६८-९,
१७०-१, १९०
नन्दवर ४५ नन्दवाडिगे ८५ नन्दसेठि १
नन्दापुर ८५ नन्दिमाम्नाय ४२२
नन्दिगण ( सघ) १०४, १०९, १२८ २१४, २२१-२, २३३, २५८ २६७, २६९, २९१, ४०२ नन्दिवेवूरु ९३ नन्दिभट्टारक २५८-९, २९६, ३७५ नन्दिमुनि २३४
नन्दियड सघ ७२
नन्दियडिगल ३६१-२
नन्दीतरगच्छ
३९६,
४०२-३,
४०५-६, ४०९, ४११, ४१४,
४१६, ४२७
ननियगंग ५९, ६०
नमयर ५३
नम्बिसट्टि २८२-३
नयकीर्ति १७३, २०७, २१९-२०
२३१-२, २५६, २५८-९, २७१-३
नयसेन ९१-३, ११८, १२१
नरतोग १६७
नरवर १९१, १९७
नरवाहन ६६-८

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