Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१६६
कुपण ३८
नामसूची गनिदल ७३
कुदपयों २ नगटार ३९६, २००, ४०२-६, कुन्तलनाडु ३०४.५ ४०९-२१, २१-६, ८२८ पुन्दकुन्दान्वय, कुन्दकुन्दाचार्यान्वय नगमिमम १९८
१२६, २७८, १७, १९७, कावन ९८
४०२-४, ४०७, ४०९-१२, कालावी २१७
४१५.२७ विन्निगरान:३५
कुन्दकुन्द २२१-२, २२५ विरगाडि १५३
कुन्दनद्रालु २८८ रिमुल २१०-१
कुन्दरंगे ८५ क्नुिवोनल २५
कुन्दानि १३९-८० कोराकम् ४२ कौरवर ३१७
कुप्पर २२४ कीजि १५२-२
कुन्ज वि वर्धन ३, ६८ पीनिवन्न २५
कुमठ २०८, २७८, ३७८ कोदिमागर:६१
कुमरन् देवन् ४१ कोलवकुडि २२, ७२, २२७, ३६५
कुमरय्य १४७ स्वामन १६७
कुमारकीति १८ पुच्चांग २०७, १२८
कुमारनन्दि २८-३०
कुमारपर्वत ५७ कृटुगिनबर ३२०
कुमारबीड १४६, २२३ कृटनहोसल्लि १७१
कुमारसन १७५, २९४-५ कुन्डबुन्दान्वन ११४, १५५-६ कृमिलिगण ४२
२३-४, ६०, ३६४ कुमुदचन्द्र २५८-१,२७१-२, ४०५ कुण्डबाट ३०७, ३६५
कुमुदिगण ८२, ३७७ कुण्डमय ४०
कुम्बनूर १४५ कुगत्तर :०८
कुरंजन १३७

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