Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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जैनशिलालेस-सप्रह
एलाचार्य ४४,५४, २८८ ऐनुरुषपेरुम्पल्लि ३६६ ऐवर अंवण ३५३ ऐवरमले ३७ ऐहोले १४५ मोखरिक ५,६ ओगण ३५५ ओडेयमसेट्टि ३७९ बोड्डिपाणि ४० ओवेयमसेट्टि ३६५ ओरकल्वायगर १९,२० भोगेर ३८१ करकरगोड १०५, ११० कन्धिनायकर २७४ कच्चिनायनार् १६६ कच्चियरायर २७४ कच्छवेगडे २३०-१ कछवाह ३४३ कडकील २६१ कडलेहल्लि २१५-६ कडितले २६८ कणवियसेट्टि १०८ कणितमाणिकसेट्टि ८३ कण्डन् पोपट्टन् २२ कण्डन् माधषन् ३९१ कण्डूर, कण्डूर गण ११६, १२०,
१५०, १५२, २७५, ३८४ कण्णम्मन् १८-२० काण्णमेट्टि २१४ कण्णूर १३४ कत्तम १८५ कदम्ब १३, १५, २६, ३८,७१,
८२, ११४, १२३, १२४-५, १३६, १४८,१५७, १७१-२, २०८-९, २५०-१, ३१३,
३७८ कदलालयवसदि १४३, १४५ कनककीति ३६३ कनकगिरि ३४६ कनकचन्द्र १४८, २५८, २७१ कनकचिनगिरि २७३ कनकनन्दि २२, ७७, ९५, १०२ कनकरायनगुड ३६१ कनकवोर २२, ५६, १६७ कनकशक्ति ९५ कनकसेन ३९, ९२-३, १७५ कन्नडिगे १८२ कन्नडिवसदि ३०९ कन्नप १२०-१, १६४ कभर (कन्वर, कन्हर) देव ४५,
१५१, २५६-७,२६३ कनिसेट्टि ३७३

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