Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 419
________________ भन्दिरो व मूर्तियाँका विवरण ४५३ [३८] गृहचैत्यालय-श्री राजावापू लच्छावापू ठवली, इतवारी ५८० चौवीसी (धातु ३ ई.) लेख क्र. १७४ ४८) यक्षिणी (धातु ३ इ.) लेख ऋ० १९६, १८२ यक्षिणी (धातु ४ इ० ) लेख क्र० २५ [३९] गृहचैत्यालय-श्री जयकृष्णपत सावलकर, इतवारी १८३ पार्श्वनाय (धातु ३ इ० ) लेख ऋ० ५३ ४८५ यक्षिणी (धातु ७ ई०) लेख ३० ३१ [४०] गृहचैत्यालय-श्री कृष्णाजी भागवतकर, इतवारी २८५ सिद्ध (धातु ३ ई.) लेख क्र० २८८ ४८६ पाश्वनाथ (धातु २ इ० ) लेख क्र० ३०४ लेखरहित - यक्षिणी (धातु ३ ई.) [४१] गृहत्यालय-श्री राजाराम डुब्बीसाव काटोलकर, इतवारी १८७ चौबीसो (धातु ३ ६.) लेख क्र० २४३ VE पार्श्वनाथ (धातु २ इ० ) लेख क्र० ३१९ लेखरहित - चन्द्रप्रम ( सफेद पा० ४ इ.) [४२] गृहचैत्यालय-श्री हिरासा नत्थुसा मुठमारे, इतवारी ४८९ पावनाय ( धातु १ इ.) लेख क्र. ५६ ४९० भादिनाथ (धातु २ इ०) लेखक० ३३ ४६१ चौवीसी (धातु ३ इ० ) लेख क्र० ११३ १६२ पार्श्वनाय (धानु २ इ.) लेख क्र. १८७ ११३ पार्श्वन (धातु २६०) लेख क्र. ३०७ लेखरहित - यक्षिणी (धातु ३ ई.) [४३] गृहचैत्यालय-श्री स्खबसा विनायकसा, इतवारा १६४ पावनाय (धातु ३ ई.) लेख क्र० ३२२

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