Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 390
________________ ४०१ नागपुरक लेख पुन मागचंदी अजमेरा खडेरवाल श्रावकेन प्रनिटिन गुरुवासरे नागपुर शुक्रवारीपैठ योजिनन्यालय । ( विवरण क्र. ६५,६६,७०,७५,७६ ) २४३ मंमत १६१६ मिती माघ सुदी १० गुरवार । (विवरण क्र. ६७,६८,८२) २४४ समत १९१८ मिती माघ सुदी १० मत्पचढ अजमेरा तेन प्रनिटिन । (विवरण २०७१) २४" संमत १६१६ माघ सुदी १० मूलसर्व प्रतिष्टित । (विवरण F० ७८) ४. समत १९९६ माघ सुदी १० गुस्वार श्रीम० म० ब० कु. नमिनाथम्बामीजिन । (विवरण F०८1,१६९) २४७ समत १६१६ मिती माघ सुदी १० गुस्वामी श्रीम० स० ब० भट्टारक्वंटकीर्तिस्वामीजी हस्तन प्रतिष्टित नागपूरमध्ये । (विवरण ऋ० ८४) २८८ समन १९१६ मि० फा० सुदी ११ शनिवार श्रीम० स०व० कुट० अय श्रीआदिनाथ श्रीचंद्रकीर्ति स्वामीना प्रतिष्टितं । (विवरण ऋ० २८७ ) ०४१ समत १९१६ मिती फागुण सुदी ११ शनिवामरे नागपूरनगर श्रीमहावीरस्वामीत्याल्य श्रीमूलमधे स० ब० कु. अय श्रीपार्श्वनाथस्वामीजी श्रीदेवकीर्ति स्वामीनी स्वहस्तेन प्रतिष्टितं । (विवरण क्र० २९१) समत १६१६ मिती फागुण सुढी ११ शनिवाम श्रीम० स० ब० कुं० नागपूरनगर श्रीजिनचैत्यालये अयं श्रीमआदिनाथस्वामी मलनायक म० श्रीदेवेंद्र कार्तिस्वामी उपदेशात् गकुरदास तत्पुत्र मनीलाल परवार वोछर मुर कोठल गोत्र ते प्रतिष्टितं । (विवरण ३० ३६६) २५०

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