Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 394
________________ नागपुरवं लेख १२. ०७८ संमत १९६१ मिनी ज्येष्ठ शु ॥१० यारिम्न स्वामी उपनगान् चांगाम्गव गंगालावजी चवरे याहानी प्रनिष्टा करविली। (विवरण ३० १४५) २७९ नागपूर शेतवाल मन्दिर ५० रवि० समत १६६ मार्गशिर्ष व ॥ सप्तन्यां पण्डिनवर्य रामबह ब्रह्मचारिणां पत्र भेतवाल अनुगया प्रतिष्टित इट प्रतिमा । (विवरण २० १०७) २८० नमन १९६६ ई०म्नाय मिबीनन प्रतिष्टितं । (विवरण २० ३२५ ) २८१ वीरममन ४ मि० मा० ॥ ५१० वा० न० प्रतिष्टितं । (विवरण २०१७) • ममत १९३८ ज्येष्ट सुट ८ शुक्रवामा मुल्सब बन्गत्कारगगे मरस्वनीगच्छे कारजापुर पहाधिकारी म० देवंढकीर्निन्वामी टपदेगान शिवरनाको पादुका बडलबालज्ञातिय पाटणीगोत्र हजानलार गेंदालाल येन प्रतिष्ठा कगपितं नागपूरनगर। (विवरण २० १६७, २३३) ०४. नमन १६७ पण्टित रामभास्ना प्रतिष्ठित कन्हेगाराली गरीब यांचे आईचे नन्निवर बनांद्यापनार्य। (विवरण २० २३) २४. स्वति धी१५८ याबीनसंवन्म १९८८ विक्रम मावमासे शुक्लपक्षे दशम्यां नियों दुश्वासरं श्रीमूलसंध बळाकारगणे सरम्बतीगच्छे कुंकुवाचार्याम्नाये फणिंडपुरनिवापी परवारज्ञातिय बेलामूर गोहल्लगोत्रोन्पन्न परमानंद प्रजात्मज परवारभूषण फत्तेचंद्विपचदाभ्यां छपारानगरं प्रतिष्टित । (विवरण २० ३२०-०३) २८० धीमहावीरनिर्वाणसंमत १६. विक्रम संमत १९९० शक १२५५ फाल्गुण शुद्ध १२ सोमवार श्रीमल्संव सरस्वतीगच्छ

Loading...

Page Navigation
1 ... 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464