________________
२५०
जनशिलालेख-सग्रह
[३२२
३२२ वेलगामे (मैमूर)
कन्नड, सन् १९०६ १ स्वस्ति श्रीमत् चोरवल्लालदेववपंट १६ नेय भयसव२ सरह मानपद व ११ धृहस्पतिवारदन्दु कमलसेन३ देवर गुडि नकोचे समाधिविधियिं मुढिपि सुगनि४ य प्राप्नेयादलु ॥ श्रीवातरागाय नमो
[इस लेखमे होयसल राजा वीरवल्लालके १६वे वर्ष क्षयसंवत्लरके भाद्रपद कृष्णपक्षमै ११ को कमलसेनकी शिष्या जकोबेक समाधिमरणका उल्लेख है।
हंचि ( मैसूर)
सन् १२०७, कन्नड [ यह लेख सन् १२०७ का है। होयसल राजा वीरवल्लालके राज्यमें नागरखण्ड प्रदेशके वान्धवनगरमें कदम्ववशीय सामन्त बोप्पके पुत्र ब्रह्मका शासन चल रहा था। उस समय सावन्त मुहने मागुण्डिमें एक बसदि वनवायी तथा उसे कुछ भूमि दान दी। यह दान मुलसंघ-काणूर गण-तित्रिणोक गच्छके अनन्तकोति भट्टारकको दिया गया था। उनकी गुरुपरम्परा इस प्रकार है-गोवर्धन सैद्धान्ति-मेघनन्दि सैद्धान्ति-दिवाकर सिद्धान्तदेवपभनन्दि सैद्धान्त - मुनिचन्द्र सैद्धान्त - भानुकीति सैद्धान्त - अनन्तकोति भट्टारक । मुद्दकी प्रशसा विस्तारसे की है तथा उसे रेचचमूपतिके समान कोप्पण तीयका रक्षक कहा है।]
[ए रि मै १९११ पृ० ४६ ]