________________
-४३४]
अदिपिका लेख
३०५
३४ "मेले यत्ति होन्नावरह नाल्दुबरे होन्ननू तम्म भम्म तंगल
देवियरिंगे पुण्णायं परिहाग्माने विड्दु हैवण्णरमर - ३५ म्म मनःपूर्वकवागि कोट्ट सर्वमान्यवागि मत्स्यत्वागि ताबु
घालु यिदुं यडेय मजन वृत्तिगे गढि मुडलु होले तेकलु होले गड पडबलु
३० . "नमस्तवृत्तिनू पाहारदानक्वागि याचन्द्रावागि ३८ धारापूर्वकं नाहि कोहरु मत् भाहारदानरके या चिल्यालयड
गृह [इस लेखने पद्मगरम-द्वारा पाश्वतीयंकरमन्दिरके लिए ४ होन्नु कीमती भूमि दान दिये जानेका निर्देश है। पनगरमकी माता गलदेवी तया पिता हवगरस थे। उसकी वडी वहिन जक्कलदेवी थी। तंगलदेवीका बन्बु कालरस या जो इस्बुन्दूरके गासक तम्मरसका मानना था। यह कुन्तलनाडुके राजा मज्जा जामाता या । मज्जका समकालीन राजा संग था जो अम्बराजाला पुत्र था। सम्बका पिता सग था जो अम्वीराय और माणिक्देवीका पुत्र था तया राजा देशका वंशज था। केशवकी पली मावलरनि मग राजाकी कन्या थी। मंगकी पली जक्कब्बरमि हवण और होनबरमिको कन्या यो। इस दानको नियि माघ शु० ५ बुधवार, क १३४३, गावरी संवत्सर ऐसी दी है।]
[एरि० म० १९२८ पृ० ९३]
उडिपि (द० फनडा, मैसूर)
शक १३४६ सन् १४२४, संस्कृत-कन्नड [यह लेख (ताना) विजयनगरके देवरापमहाराजके राज्यकालमें पुष्य सु० ६, बुधवार, शक १३४६ क्रोवि संवत्सरके दिनका है। इसमें
२०