________________
जैनशिलालेख-सग्रह
[५१६
चेल्लूर ( मैमूर)
कन्नड (मन् १६८०) [ यह लेख विमलनाथमूतिके पादपीठपर है। पद्मकुलके शकर-द्वारा इस मूर्तिकी स्थापना हुई थी। यह हलिकल निवासी था तथा ममन्तभद्राचार्य के शिष्य लक्ष्मीसेनाचार्यका शिष्य था। समय लगभग सन् १८८० का है।
[ए. रि० ० १९१५ पृ०६८]
पोनर (उ० अर्काट, मद्रास)
शक १६५५ = सन् १७३३, तमिल [स्थानीय जिनमन्दिरके छतमे लगे स्तम्भपर यह लेख है । तिथि वैगाशि २७, प्रमादी संवत्सर, शक १६५५, कलिवर्प ४८३४ यह है। इसमें कहा है कि स्वर्णपुर-कनकगिरिके जैन हेलाचार्यको साप्ताहिक पूजाके लिए प्रति रविवारको पार्श्वनाथ तथा ज्वालामालिनीकी मूर्तियां नीलगिरिपर्वतपर ले जाते है। यहींक अन्य लेखमें पार्श्वनाथकी स्तुतिमें कुछ मन्त्र लिखे है।]
[रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र. ४१६-१८१०४० ] मूललेख १ स्वस्ति श्री शालिवाहनचकाट १६५. कल्यब्द. १८३४ व
मेळ चेल्ला निरा प्रमवादि ग (श) काव्ड वरप ४६ कक प्रमादिच वरुपं वैगाशिमाठ १७ (उ) एलुढिय शासनमावदु (1) स्वस्ति श्रीस्व (ण) पु (र) कनकगिरि आदीश्वरस्वामिचत्यालय सम्बन्दमान वायुमृलैयिलि