Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha Part 4
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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जैनशिलालेख-संग्रह सके १४८५ मू० स-1 (विबरण क्र २२५) मक १४.७ प्रजापतसवत्सरे श्रीम. सरस्वती वलात्कार म. धर्मचद्राणाम् उपदेशात ज्ञाति बघेरवाल भुरा गोत्रे सा रतन स गर्या पुनली लसमाई-प्रणमंति । (विवरण क्र ४३४ ) स. १६२५ भाषाढ शुद्धिर श्रीमलसधे ब्रह्म श्रीहस ब्रह्म श्रीराजपालोपदेशात् हुबड ज्ञातौ सा. समराज भा. लोकोई स. भासजा मा बाकाई । ( विवरण क्र २६८) श्रोमूलसंघ संमत १६३१ वर्षे फाग सुदी १० सोमे म श्रीगुणकीर्तिगुरूपदेशात् स कर मार्या सहागदेई स वीरदास मा ताकमई श्रीअजितनाथ जिन प्रणमंति । (विवरण क्र. ३०७) समत १६३६ मगनोजी पु (२) (विवरण क्र ३०६) सबत् १६३६ श्रीकाष्ठासंघे भ० विद्याभूपण प्रतिष्ठितं भुवड सा. जयवतमार्या तसमादे सु-जीवराजला धनराजसा प्रणपालसा नित्य प्रणमंति । ( विवरण क्र ४०८) शक १५०१ मा विथी ८ काटासधे म. श्रीश्रीभूषणमदुपदेशात प० जयवा ( विवरण क्र ४३६ ) सफ १५०३ वृषा नाम सबस्सरे फागुण सुदि ७ श्रीमूलमंघ ब. म धर्मपणोपदेशात् बघेरवाला ति ठवलागोने स पासुमा मार्या या रुपाई तयो पुत्री आपुसा मार्या लिंवाई रामासा भार्या चोपाई एते प्रणमंति । (विवरण क्र ४२१) सकं १५०६ माघ वदी १ गोत्र चवरिया गुणासा। ( विवरण क्र ३९१) समत १६४५ वैसाख सुदी ७ सोमवार श्रीकाप्टासंघे लाडवागढगणे पुष्करगच्छे भट्टारकलीप्रतापकीति तस्य आम्नाये यधेर
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