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करन्दै आदिके लेख [इस लेखमें देशिगणके प्रमुख सगीतपुरके पट्टाचार्य अकलकदेवके स्वर्गवासका निर्देश है जो कार्तिक शु० १० शक १५३० के दिन हुआ था। उनको यह निपिधि उनके शिष्य भट्टाकलकदेव-द्वारा स्थापित की गयी थी।
[ए० इ० २८ पृ० २९२]
५०३
करन्दै ( उत्तर अर्काट, मद्रास)
शक १५४१ = सन् १६९ [ यह लेख विजयनगरके महामण्डलेश्वर रामदेव महारायके समय शक १५४१, कालयुक्ति, चैत्र ३ के दिन लिखा गया था। वाल नागम नायक
और तलत्तार लोगो द्वारा कपिलायप्पुलवर् (नामक जैन विद्वान् ) को कुछ भूमि दान दिये जानेका इसमे उल्लेख है। ]
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र. १३७]
५०४ मूडविदुरे ( मैसूर)
शक १५४४= सन् १६२२, कन्नड [इम ताम्रपत्रमें निर्देश है कि सेनगणके समन्तभद्रदेवने इक्कैरिमें केलडि वेंकटप्प नायकसे मिलकर तथा उसके अधीन अधिकारी चिन्नभडार देवप्पसे साहाय्य पाकर विदुरे नगरको त्रिभुवनतिलक वसतिका जीर्णोद्धार कराया। तिथि-वैशाख, शक १५४४, रुधिरोद्गारी सवत्सर । ]
[रि० सा० ए० १९४०-४१ पृ० २४ क्र० ए ४ ]