________________
जैनशिलालेख-सग्रह
[३३४
विजापूर ( मैसूर)
शक ११७९ -सन् १७५७, काड [यह लेख करीमुद्दीनकी मसजिदमें पाया गया। यह मसजिद एक जैन मन्दिरके स्थानपर बनवायी गयी थी। इस मन्दिरके आचार्य करसिदेवके लिए यादव राजा कन्हरदेवके समय शक ११७९ में कुछ भूमि दान दिये जानेका इस लेखमें निर्देश है।]
[रि० मा० स० १९३०-३४ पृ० २२४ ]
वस्तिहल्लि ( मैसूर)
सन् १२५७, काड [ यह मूतिलेख होयसल राजा नरसिंहके समय सन् १२५७ का है। इस समय श्रीकरणद मधुकणके पुत्र विजयण्ण तथा दोरसमुद्रके अन्य जनोने मूलसघ देसिगण हनसोगे शाखाके शान्तिनाथ मन्दिरका निर्माण किया था। इस मन्दिरके लिए होरगुप्पे नामक ग्राम नयकीति सिद्धान्तचक्रवतिको अर्पित किया गया था।]
[ए.रि. १९११ पृ० ४९]
कलकेरि (विजापूर, मैसूर)
राज्यवर्ष ४= सन् १२६०, कन्नड [यह लेख यादव राजा कन्नरदेवके राज्यवर्ष ४ साधारण सवत्सरम लिखा गया था। इसमें अनन्ततीर्थकरमन्दिरके लिए रगरस-द्वारा-पुत्र प्राप्तिके उपलक्ष्यमे कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है। करसग्राहक सर्वदेव नायक-द्वारा भी इस समय कुछ दान दिया गया था ।]
[रि० सा० ए० १९३६-३७ क्र० ई० ५४ पृ० १८६ ]