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जैनशिलालेख-संग्रह
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३६१-३६७ चिप्पगिरि ( जि. वेल्लारी, मैसूर)
१३वी सटी, कन्नड [ये छह लेख है। मूलसघ-देशीयगण-कोण्डकुन्दान्वय-पोस्तकगच्छके केशणदि भटारके शिष्योके समाधिमरणका इनमें उल्लेख है । इन शिष्योंक नाम है-गोपरस, तथा उसकी पत्नी हालौवे, मादलदेवी, तिप्पयकी पली जाकवे, नागलदेवी, मूलिग तिप्पय, वैतलेय बोम्मिसेट्टि तथा उसकी पली बीमवे । लिपिके अनुसार ये लेख १३वी सदीके प्रतीत होते है। इसी समयके एक और लेखमें माधवचद्र भट्टारकदेवके शिष्य परिसयके समाधिमरणका उल्लेख है।
(रि० सा० ए० १९४४-४५ ई ६३-७२)
३६८ अदरचि (जि. धारवाड, मैसूर)
१३वीं सदी, कन्नड [यह लेख लिपिपर-से १३वी सदीका प्रतीत होता है । यापनीय सघ-काडूरगणकी एक बसदिके लिए दी हुई जमीनको सीमा बतलानेवाला यह पत्थर है। यह वसदि उच्छगि नगरमें थी। यह दान अदिगुण्टेके गोण्ड और स्थानिको-द्वारा दिया गया था।]
(रि० सा० ए० १९४१-४२ ई० क्र० ३ पृ० २५५)
३६६ वसवपट्टण ( हासन, मैसूर )
१३वीं सदी कन्नड १ श्रीमूलसघ टेसियगण पोस्तकगच्छ २ कॉडकुंदान्वयट इंगलेश्वरद ब