________________
-४१९]
माविनकेरेका लेख २९७
४१६ माचिनकरे (कडूर, मैसूर)
५वीं सदी, कन्नड १ स्वस्ति श्रीमतु मन्मयसंवत्सर प्रथम श्रावण शु । गुरुवार पुष्य
नक्षत्रदलू श्रीचंदनायन चैत्यालयट २ तोलहरबलिय अनतकमेष्टितिय मग प्राढिमेट्टिय येरगिसिद
चतुर्विशतितीर्थकरप्रतुमयनु पिरिसि क्रु. ३ तार्य नाहेनु भन शुभ मगलं भूयात् पुनाशनं शुम मगल महा
श्री श्री श्री [इस लेखमें चतुर्विगति तीर्थकर मूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है। अनतकसेट्टितिके पुत्र आदिसेट्टिने यह मूर्ति स्थापित की थी। तिथि प्रथम श्रावण शु० (९) मन्मथ मवत्सर ऐसी दी है। लिपि १४वीं मदीकी है।]
[ए. रि० मै० १९४६ पृ० ३७ ]
४२० गेरसोप्पे (मैसूर )
शक १३२३-सन् १९०१, कन्नड श्रीमत्परमगंभीरस्यावाढामोघलांछन जी२ या त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ३ नगिरिय कुलचक्रवर्ति राजनिर्जिव ४ ला सामन्तर बलियं यिन्ता होनभूपनलिय मा साम५ न्तन पुत्रनथिकामं कोमल "मरसं भरिनुपालनातन । ६ दे। घर चारकीर्तिपण्डित - सद्गुरुणभु मा कामनृपालन मान ७ योनि राज्यमे नगिरियुमनितुं तनगागे घेचणभूपति म ८ मेगलई रियुसैन्य नवर न पडसरसि जिनमुनिपादांबुजात
नृपाल