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चेल होगल आदिके लेख
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को कई दान दिये थे। इस स्थानके कुछ आचार्योके नाम भी लेखमें दिये है। तिथि आपाढ शु० प्रतिपदा, सोमवार, उत्तरायणसक्रान्ति, शोभकृत् सवत्सर ऐसी दी है । उस समयके चालुक्यसम्राट् त्रिभुवनमल्लदेवके राज्यका उल्लेख किया है।
[रि० इ० ए० १९४६-४७ क्र० २१६ ]
चैल होंगल ( बेलगांव, मैसूर)
__११वीं - १२वी सदी, कन्नड [ यह लेख चालुक्य राजा त्रिभुवनमल्लदेवके समयका है । शक वपके अक अस्पष्ट हुए है। इसमें रट्टवशीय महासामन्त अक, शान्तियक्क तथा कूण्डि प्रदेशका उल्लेख है। अनन्तर यापनीयसघ- मैलाप अन्वय-कारेयगणके मुल्लभट्टारक तथा जिनदेवमूरिका उल्लेख है। यह सम्भवत किसी जिनमन्दिरको दिये गये दानका उल्लेख है। ]
[रि० इ० ए० १९५१-५२ क्र० ३३ पृ० १२ ]
गोलिहल्लि (जि० वेलगांव ) सिन्देश्वरमन्दिरके समीप शिलापर
१२वी सदी, कन्नड [ मैललदेवी तथा जयकेशिन्के पुत्र वीर पेर्माडि तथा विजयादित्यके शासनका इस लेखमें निर्देश है । अगडिय मल्लिसेट्टिद्वारा किरुसपगाडिमे बनवाये गये जैन मन्दिरके लिए भूमिदान देनेका इसमें उल्लेख है । मूलसष, वलात्कारगणके नेमिचन्द्र भट्टारकके शिष्य वासुपूज्य भट्टारकको यह दान दिया गया । वासुपूज्यकी गुरुपरम्परा कुछ विस्तारसे दी है। लेखके समय फाल्गुन शु० १५, गुरुवार, मन्मथ सवत्सर था तथा चालुक्य भूलोकमल्ल सम्राट् थे।]
[रि० इ० ए० १९५०-५१ क्र० १५ ]