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जनशिलालेस-सग्रह
[२५६१०८२, विक्रमसवत्सर, कुम्भ माम गु० १० गुरुवार ऐमी है। इस दिन इस मन्दिरके लिए कुछ भूमि तथा व्यापारियो-द्वारा कुछ करोका उत्पन्न दान दिया गया था। यह मन्दिर हेम्माडिसेट्टिकी पत्नी मिरियवेके पुत्र मारिसेट्टिकी स्मृतिमें बनवाया गया था। मन्दिरके गर्भगृहकी पार्श्वनाथमूर्तिके पादपीठपर इसी समयकी लिपिम निम्न वाक्य खुदा है-श्रीमत्पारिसनाथाय नम ।]
[ए. रि० म० १९३३ पृ० १२२, १२५ ]
२५६ वावानगर (विजापूर, मैसूर)
शक १०८३ - सन् ११६१, कन्नड [ यह लेख कलचुर्य राजा विज्जणदेवके समय शक १०८३, विक्रम सवत्सरका है। इसमें मूलसघ-देसिगणके मगलिवंडके आचार्य माणिक्यभट्टारकका तथा मैलुगि नामक शासकका उल्लेख है। इसने कन्नडिगेके जैन वसदिको कुछ दान दिया था। ] [रि० सा० ए० १९३३-३४ पृ० १३०० ई १२०]
२५७ गुत्तल ( धारवाड, मैसूर)
शक १०(४४) सन् १९६२, काड [ यह लेख गुत्त वशके महामण्डलेब्बर विक्रमादित्यरसके समय पीप शु० १५, मोमवार, शक १०(८४) का है। इसमें केतिसेट्टि-द्वारा निर्मित पार्श्वदेवमन्दिरके लिए राजा-द्वारा भूमि दान दिये जानेका उल्लेख है। पुस्तकगच्छ मलधारिदेव तथा सोमेश्वरपण्डितदेवका भी उल्लेख है ।]
[रि० सा० ए० १९३२-३३ क्र० ई ५१ पृ० ९६]