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तिरक्कोल आदिके लेख
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૨૨૨૨૭ तिरक्कोल ( उ० अर्काट, मद्रास )
११वी-१२वी सदी, तमिल [ इस लेखमे तण्डपुरम्की पल्लि (जैनवसति ) के लिए एरणन्दि उपनाम नरतोग पल्लवरैयन्-द्वारा कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है । यह ग्राम पोन्नूरनाडुमे सम्मिलित था। यहीके एक अन्य लेखमे शेम्बियन् शेम्बोत्तिलाडणार-द्वारा कनकवीर शित्तडिगल्को कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है। यह चोल राजा परकेसरिवर्मन्के १२वे वर्पका लेख है। तीसरा लेख स्थानीय वर्धमानमन्दिरके दो स्तम्भोपर है। ये स्तम्भ अरुमोलिदेवपुरम्के इडयारन् आट्कोण्डान् मावीरन्-द्वारा स्थापित हुए थे।] [रि० सा० ए० १९१५-१६ क्र० २७६-२८० पृ०९१ ]
२२८-२३० वस्तिहल्लि (मैसूर )
१२वीं सदी-पूर्वाध, कन्नड [ यहाँ तीन लेख है। एक जिनमूर्तिके पादपीठपर मूलसघ-देसियगणकेकुक्कुटासन-मलधारिदेव के शिष्य शुभचन्द्र सिद्धान्तिदेवके शिष्य दण्डनायक गंगपय्यका नामोल्लेख है। एक दूसरे मूतिके पादपीठपर मूलसंघ-देसिगणके दिनकरजिनालयमें हेग्गडे मल्लिमय्य-द्वारा मूर्तिस्थापनाका उल्लेख है। इस मन्दिरके द्वारके लेखमे इस मन्दिरको स्थापनाका वर्प सन् ११३८ दिया है।
[ए० रि० मै० १९११ पृ० ४४ ]
२३१ नाडलाई (जि देसूरी, राजस्थान)
सवत् ११९५ = सन् ११३९, सस्कृत-नागरी १ ओं नम सर्वज्ञाय ॥ संवत ११