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जनशिलालेस-सग्रह ___६ टाववियुमोरदिगलुक्कु शोराग अमैत्त पो
७ ण् ऐन्नरन्तु काणम् ॥
[यह लेख पाण्डय राजा वरगुण २के राज्यवर्ष ८,गक ७९२का है। इस समय गुणवीरके शिष्य शान्तिवीरने तिस्त्रयिर स्थित पार्वनाथ मूर्ति तया यक्षीमूर्तिका जीर्णोद्धार किया था। इसके लिए उन्हें ५०२ काणम् (सुवर्णमुद्रा)दान मिला था।]
[ए० इ० ३२ पृ० ३३७ ]
धर्मपुरी (सालेम, मद्राम)
शक ८०० -सन् ८७८, कन्नड किलेम मारियम्मन देवालयक भागे पटे हुए स्तम्भपर [इस लेखमें पल्लव महेन्द्र नोलम्ब-द्वारा किसी जैन मन्दिरके लिए दान दिये जानेका निर्देश है। इस लेखका समय शक ८००, विलम्बि सवत्सर था।]
[इ. म० सालेम ८१] ६० कोप्पल ( रायचूर, मैमूर)
कन्नड, राक ८.१= सन् ८९० [ इस लेखकी तिथि कार्तिक पूर्णिमा, शक ८११, शोभन सवत्सर ऐसी है। इस समय दण्डनायक अम्मरसने कुपण तीर्थकी यात्रा की तथा महासामन्त कदम्बवशीय अलियमरस-द्वारा निर्मित वसदिके लिए कुछ दान दिया था।
[रि० इ० १० १९५४-५५ ऋ० १५९ पृ० ४१]