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हरण आदि के लेख
८ न्तं द्विविजविनवमं मन्द नामावि वम्मं ॥ पतिहियवृत्तियां९ विन् अप्रतिमन् एनल दिविज पद्मं महीपनियोढने १० कूडि पोक्कं चतुरं मामावि बम्मन' 'आ नेगल्द भूमि
११ य मुन्नाल्डगं मले लाक्षियं माध्य देनेवाल्डनोडने सग्गम१२ नू आल्ड व्यन्दु चम्म
[ इस लेखमें मगनावि वम्मं नामक व्यक्तिके देहत्यागका वर्णन है | अपने स्वामीको मृत्यूपर खेद व्यक्त करनेके लिए उम्रने सम्भवत देहत्याग किया था । यह प्रथा होयमल राजाओंके नमय रूढ थी । लेखकी लिपि ११ वी सदीकी प्रतीत होती है । ]
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[ ए०रि० मं० १९४३ पृ० ५९ ]
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हहण ( मैनूर )
१२वीं सदी-प्रारम्भ, कन्नड
[ इस लेखम होननन राजा बल्लाल १के समन मरियाने दण्डनायक द्वारा एक जिनमूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है । आचार्य शुभचन्द्रका नी इसमें टल्लेख है । ]
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[ ए०रि० मं० १९१८ पृ० ४५ ]
चिकमगलूर (मैसूर)
शक १०२० = सन् ११०१, कन्नड व १०२० नेय
१ सच्चन
२ विक्रमसंवत्परद फाल्गुन शु (8) ३ सोमवारदंड द - विन