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-१७९] चिकहनसोगे भादि के लेख
१७७-१७८ चिक्कहनसोगे ( मैसूर)
कन्नड, ११वीं सदी [यह लेख आदिनाथमूर्तिके पादपीठपर है। इसमे हनसोगेके तीर्थवसदिकी स्थापना रामचन्द्र-द्वारा की जानेका तथा कालान्तरमें शक, नल, विक्रमादित्य, गंग एवं चंगाल्ब राजाओद्वारा उसकी सहायताका उल्लेख है। प्रस्तुत लेखके समय नागचन्द्रदेवके शिष्य समयाभरण भानुकीर्ति पण्डितदेवने इस वसदिका जीर्णोद्धार किया था। इसी पादपीठके दूसरे लेखमें जयकीति भट्टारकके शिष्य बाहुबलिदेव-द्वारा बसदिके निर्माणका उल्लेख है। इन लेखोका समय ११वी सदी प्रतीत होता है। ये आचार्य मूलसघ देसिगण-पुस्तकगच्छके प्रमुख थे।]
[ए० रि० मै० १९१३ पृ० ५० ]
१७६ चिकमगलूर (मैसूर)
कन्नड, ११वीं सदी १ स्वस्ति श्रीमतु वूचब्वे२ गन्तियर सिष्य नेचटिम३ ताय निसिधिगेय नि. लि मज वरेट ॥
[ यह निषिवि लेख बूचब्बेके समाधिमरणका स्मारक है जो उसके शिष्य नेचतिमतायिद्वारा स्थापित किया गया था। इसकी लिपि ११वी सदीकी प्रतीत होती है।]
[ए० रि० म० १९३२ पृ० १६२]