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जैनशिलालेख-सग्रह
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१७५ सागरक? (मैसूर)
११वीं सदी, कन्नड १ श्रीमद्राविलस
२ धद पारंगला३न्वयट नन्दिगण
४ ह शान्तिमु५ निगल शिव्यसन्त
६ ति श्रीवादिरा• जदेवर शिष्यह
८ श्रीवर्धमानदे९ वरु होयसल
१० कारालियदलु ११ भप्रगण्यर स
१२ न्यसनदि मुदि(मि) १३ दरवर सध
१५ मा कमलदे. १५ वरु निसिधियं १६ निरिसिढर्
[इस लेखमे द्राविल सघ-अरुगल अन्वय-नन्दिगणके शान्तिमुनिकी परम्पराके वादिराजदेवके शिष्य वर्षमानदेवके समाविमरणका उल्लेख किया है। वर्षमानदेवके गुरुवन्धु कमलदेवने उनको यह निसिषि स्थापित की थी। वर्षमानदेवको होयसल राज्यम प्रमुख कार्यकर्ताका स्थान प्राप्त था। लेखकी लिपि ११वी सदी की है।]
[एरि० मै० १९२९ पृ० १०८]
वेणगि (जि. बेलगाव, मैसूर)
वों सदी, कन्नड [ इस लेखकी लिपि ११वीं सदीकी है । लेखके समय ( रट्ट वंशके) कार्तवीर्य (द्वितीय)का शासन कण्डि ३००० प्रदेश पर था। इसे जिनेन्द्रपादसरोजभृग तथा सेननसिंग कहा है।]
[रि० सा० ए० १९४०-४१ ई० ऋ० ८४ पृ० २४७]