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१३२ जैनशिलालेस-संग्रह
[18४ सनंगेन्दु दिवक्के सुन्दरब(र)सद ५ मि मालेगबगन्धियप्परो "वि(ने) ६ मर्म माडि मिसिदिगेय माडि ७ अवर गुड जगमणचारिथ८रेद
[ यह लेख फाल्गुन शु०४, सोमवार, शक १०२२ विक्रमसवत्सरमें लिखा गया था। एक व्यक्तिके (जिसका नाम लुप्त हुआ है) समाधिमरणके बाद उसके सहाध्यायो मालेयन्त्रेगन्ति-द्वारा इस निषिधिकी स्थापना का इसमे उल्लेख है। उसके शिष्य जगमणधारिने यह लेख उत्कीर्ण किया था।
[ए० रि० म० १९३२ पृ० १६१]
१८५
टोक (राजस्थान) सवत् ११५८ %= सन् ११०२, सस्कृत-नागरी [इस मूर्तिलेखमें आलाक नामक व्यक्तिका उल्लेख है । तिथि में (शाख) शु०७, सवत् ११५८ ऐसी दी है।]
[रि० इ० ए० १९५४-५५ ० ४७१ पृ. ६९]
१८६ होपुर (जि. वेलगांव, मैसूर)
शक १०३० = सन् ११०८, काढ [ इस लेखकी तिथि सोमवार, पीय शु० ५, शक १०३०, सर्वधारि सवत्सर, उत्तरायण सक्रान्ति ऐसी है। ( रट्ट वंशके ) लक्ष्मीदेव-द्वारा एक बसदिके लिए राजधानी वेणुपुरसे कुछ जमीन दान दिये जानेका इसमें उल्लेख है। यह बसदि लक्ष्मीदेवने ही बनवायी थी।]
[रि० सा० ए० १९४०-४१ ई० ऋ० १५ पृ० २४१]