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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
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रूप में लिखी गई हैं, सुन्दर और सच हैं; बाकी की सब बातें ऐसे ही लिख दी गई हैं। मगर मैं कहूंगा कि ऐसा खयाल करने वालों को सोचना जरूरी है कि मनोविकारों को शुद्ध करने का विधान देने वालों के लिये क्या इस प्रकार अंट संट असत्य खाना पूरी करना क्षम्य है ? जिन विषयों का उनको ज्ञान नहीं था, उन पर चुप ही रहते। रहने से सर्वज्ञता में जो बट्टा लगता !
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मगर चुप रहें कैसे ? चुप
विज्ञान के नाना तरह के आविष्कारों ने आज खगोल और भूगोल के प्रश्नों को प्रत्यक्ष रूप से हल कर दिया है । इस समय इस विज्ञान युग में यह कहना कि सूर्यदेव के सूर्यावतंसक विमान को १६००० देव हाथी, घोड़ा, बैल और सिंह का रूप बनाये आकाश में उड़ाये फिर रहे हैं, सूर्यदेव के चार पटरानियां और १६००० रानियां हैं जिन के साथ सूर्यदेव भोगोपभोग भोग रहे हैं और चार हजार सामन्तिक देव उनकी चाकरी बजा रहे हैं और १६००० देव उनके Body guards हैं और उनके हाथी, घोड़े, गवैये, बजेये हैं, सभ्य समाज में अपने आपको हंसी का पात्र बनाना है । गया जिसमें प्राकृतिक वस्तुओं को देव देव बतला कर साधारण जनता को भुलाया जाता था । जैसे जैसे विज्ञान के आविष्कारों द्वारा प्राकृतिक वस्तुओं का यथार्थ ज्ञान होता गया, इन कल्पित देवों का असली रूप प्रकाश में आता गया ।
अब वह जमाना लद
बैज्ञानिक ज्योतिषियों ने बहु काल के अथक परिश्रम से
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