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'तरुण जैन' फरवरी सन् १९४२ ई०. गणित सम्बन्धी भूलें
गत जनवरी के लेख में मैने कहा था कि प्रत्येक जगह जहां जैन शास्त्रों में किसी वस्तु का आकार गोल बताकर उसका व्यास बताया है और फिर उस व्यास की जो परिधि बताई है, वह सब की सब परिधियां असत्य और गलत हैं। सूर्य-प्रज्ञप्ति, चन्द्र-प्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति और जीवाभिगम-इन चार सूत्र प्रन्थों में प्रायः सैकड़ों जगह गोलाई के व्यास बता कर उनकी परिधियां बताई हैं जो सब की सब असत्य और गलत हैं। इनमें से करीब ५६० परिधियों की मैंने गणित करके जांच की तो सब की सब असत्य उतरी। इसके पश्चात् तो परिधि निकालने का गुर (Formula) मिल गया जो खुद ही असत्य है। तब यह निश्चय हो गया कि जिस किसी भी सूत्र ग्रन्थ में जहां कहीं भी गोलाई का व्यास बता कर परिधि बताई हुई मिले, वह सर्वथा असत्य होगी। मैने सोचा कि जांची हुई इन असत्य परिधियों का एक चार्ट बना कर इस लेख में दे दू, मगर लेख बड़ा हो जाने के खयाल से चार्ट न देकर मैं यही अनुरोध करूंगा कि जिनको इन परिधियों की सत्यता पर विश्वास हो, वे कृपा करके एक दफा वर्तमान गणित द्वारा जांच कर देख लें। आज इस विज्ञान-युग में जब कि गणित का सूक्ष्मातिसूक्ष्म
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