________________
१६२ जैन शास्त्र की असंगत बातें ! प्रत्यक्ष में असत्य प्रमाणित होनेवाली शास्त्रों की कौनसी बात है-एक बात उदाहरण के तौर पर हमारे समक्ष रखो। तो मैंने अरज की कि जैन शास्त्रों में अनेक स्थानों में ऐसा लिखा है कि जम्बूद्वीप भर में बड़े से बड़ा दिन होता है तो १८ मूहूर्त से बड़ा कहीं नहीं होता और बड़ी से बड़ी रात होती है तो १८ मुहूर्त से बड़ी नहीं होती परन्तु लन्दन ( London ) शहर जहाँ व्यापार आदि के निमित्त अपने साथके अनेक लोग रहते हैं वहां पर २२।२३ मूहूर्त तक के बड़े दिन और रात होती हैं। एक मूहूर्त ४८ मिनट का माना गया है। यह हालत तो लन्दन शहर की है इससे आगे जितना उत्तर की तरफ जाया जायगा उतने ही बड़े दिन और बड़ी रात मिलंगी। उत्तरी ध्रुव पर तो ६ महीने तक लगातार सूर्य दिखाई देता है। इस पर श्री जी महाराज ने फरमाया कि यह बिचारने की बात है। मैंने अर्ज की कि स्वामिन्, यह एक बात ही बिचारने की नहीं है, सैकड़ों हजारों बात शास्त्रों में ऐसी हैं जो प्रत्यक्ष में असिद्ध हो रही हैं। मुझे कृपा करके आप बात करने का अवसर दिरावें । आपके समक्ष में एक एक करके सब रखू । तो श्री जी महाराज ने फरमाया कि पर्यषण के पश्चात् इस विषय पर बातचीत की जायगी। मैंने अर्ज की कि मेरे लेखों को आप एक दमा पड़े तो उत्तम होगा! इस र मेरे वे सब लेख पढ़ने के लिये दिये गये। कुछ कार्य बसात् मैं आसोज सुदीमें बम्बई जा रहा था तो श्री जी महाराज से वातचीत करने के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org