________________
जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
अधिक बड़ा अन्तर पड़ रहा हो उस पर अक्षर अक्षर सत्यता की मोहर लगाना और सर्वज्ञता का दावा पेश करना कहां तक युक्तिसङ्गत है, इसके प्रमाणित करने की जिम्मेवारी तो दावा पेश करने वालों पर खड़ी है ।
गत लेखों में खगोल और भूगोल के विषय की प्रत्यक्ष असत्य प्रमाणित होनेवाली २६ बातों को आप देख चुके हैं और जनवरी के अङ्क में जैन शास्त्रों में सैकड़ों जगह बताई हुई परिधियों के असत्य होने की बात मेरे लेख से और लाडनूं के श्री मूलचन्दजी बैद के “लोक के कथित माप का परीक्षण" शीर्षक लेखसे जैन शास्त्रों में बताये हुए लोक के आकार के अनुसार असत्य प्रमाणित होनेवाले ३४३ के घनफल को आप देख ही चुके हैं । इस पर भी यदि अक्षर अक्षर सत्यता का विश्वास कोई अपने दिमाग से न हटा सके, तो बलिहारी हैं उस दिमाग की । भारतीय दिमाग में मजहवी गुलामी का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं । सदियों से चढ़ा हुआ यह गुलामी का रंग उतरते भी काफी समय लेगा । मजहबी गुलामी ने संसार में मानव समाजपर जो भीषण अत्याचार करवाये, इसका इतिहास साक्षी है। सच्ची बात कहने वालों को सूली चढ़वाया, फांसी दिलवाई, जिन्दे आधे जमीन में गड़वा कर पत्थरों से मरवाया आदि क्या क्या इस तरह की गुलामी ने नहीं करवाया ? आज भी भारत की जो असहाय अवस्था हो रही है, वह एक मात्र मजही गुलामी का ही परिणाम है । अब भी मजहब के नाम पर
Jain Education International
६३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org